पत्थर की पूजा जीवित से डरते हैं

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सफलता के ऊँचे सोपान पर कोई
अपने बल पर जब पहुँच जाता है,
तो पहचानने वाले नज़दीक होते हैं,
पर संघर्ष के समय सब दूर रहते हैं।

पत्थर के मूषक को सब पूजते हैं,
पत्थर के सर्प को भी सब पूजते हैं,
जीवित हों तो तुरंत उन्हें मार देते हैं,
पत्थर की पूजा जीवित से डरते हैं।

माता-पिता की मूर्ति हम पूजते हैं,
जीवित उनकी सेवा नहीं करते हैं,
आख़िर जीवित से इतनी नफरत क्यों,
और पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों।

मृतक को कंधा देना पुण्य मानते हैं,
काश जीवित इंसान को भी सहारा दें,
इसे भी हम पुण्य समझें तो ज़िन्दगियाँ
इंसानो की कितनी आसान हो जायें।

आदित्य मनुष्य स्वभाव में गुण,
अवगुण सभी विद्यमान रहते हैं,
मनुष्य को जो अच्छा लगता है,
स्वभाव वश वही ग्रहण करते हैं।

•कर्नल आदि शंकर मिश्र’आदित्य’

rkpNavneet Mishra

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