——*——
सफलता के ऊँचे सोपान पर कोई
अपने बल पर जब पहुँच जाता है,
तो पहचानने वाले नज़दीक होते हैं,
पर संघर्ष के समय सब दूर रहते हैं।
पत्थर के मूषक को सब पूजते हैं,
पत्थर के सर्प को भी सब पूजते हैं,
जीवित हों तो तुरंत उन्हें मार देते हैं,
पत्थर की पूजा जीवित से डरते हैं।
माता-पिता की मूर्ति हम पूजते हैं,
जीवित उनकी सेवा नहीं करते हैं,
आख़िर जीवित से इतनी नफरत क्यों,
और पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों।
मृतक को कंधा देना पुण्य मानते हैं,
काश जीवित इंसान को भी सहारा दें,
इसे भी हम पुण्य समझें तो ज़िन्दगियाँ
इंसानो की कितनी आसान हो जायें।
आदित्य मनुष्य स्वभाव में गुण,
अवगुण सभी विद्यमान रहते हैं,
मनुष्य को जो अच्छा लगता है,
स्वभाव वश वही ग्रहण करते हैं।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र’आदित्य’
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। जनपद के सदर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम सभा सिसवा राजा में आयोजित…
सलेमपुर/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। कड़ाके की ठंड में मानवता और संवेदनशीलता की एक अनुकरणीय मिसाल…
बस्ती (राष्ट्र की परम्परा)। कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित पांच दिवसीय रोजगारपरक प्रशिक्षण कार्यक्रम का…
ब्लूमिंग बड्स स्कूल में दो दिवसीय अंतरविद्यालयीय खेलकूद प्रतियोगिता का भव्य शुभारंभ संत कबीर नगर…
देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)जनपद में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम और यातायात नियमों के पालन को सुनिश्चित…
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। सदर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत बागापार के टोला बरगदवां छावनी के…