लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा)। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। इस संभावित नियुक्ति को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी की पीडीए रणनीति का मुकाबला करने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। साथ ही इसे पार्टी के भीतर सत्ता संतुलन और प्रभाव क्षेत्रों को नए सिरे से साधने की कवायद भी माना जा रहा है।
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जैसे ही केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी का नाम सामने आया, पूर्वांचल समेत प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई। पंकज चौधरी को पूर्वांचल में अपनी जाति का प्रमुख चेहरा माना जाता है। वे लंबे समय से भाजपा के साथ जुड़े रहे हैं और 1991 से लगातार महराजगंज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, केवल 2004 में उन्हें चुनावी हार का सामना करना पड़ा था। संगठन और चुनावी राजनीति दोनों में उनका अनुभव पार्टी के लिए अहम माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जाती है, तो यह कदम समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के लिए सीधी चुनौती होगा। वहीं दूसरी ओर, इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव वाले क्षेत्रों में भाजपा की आंतरिक रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक, यह फैसला पार्टी नेतृत्व की ओर से सोच-समझकर उठाया गया एक बड़ा राजनीतिक दांव हो सकता है।
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11 मई 2025 को गोरखपुर में आयोजित क्रिकेट स्टेडियम के उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर भी चर्चाएं तेज रहीं। कार्यक्रम में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल उपस्थित थे, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उसी दिन गोरखपुर में होने के बावजूद कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। इस घटनाक्रम को लेकर राजनीतिक हलकों में तरह-तरह के अर्थ निकाले जा रहे हैं।
भाजपा के भीतर यह भी माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कुर्मी मतदाताओं का झुकाव समाजवादी पार्टी की ओर रहा, जिससे भाजपा को नुकसान हुआ। सात कुर्मी सांसदों की जीत ने इस वर्ग की राजनीतिक ताकत को स्पष्ट किया। ऐसे में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले कुर्मी वोट बैंक को फिर से अपने पाले में लाने के लिए पंकज चौधरी को आगे बढ़ाया जा रहा है। उनकी सामाजिक पकड़ और सहज छवि को पार्टी के लिए लाभकारी माना जा रहा है।
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सूत्रों के अनुसार पंकज चौधरी नामांकन प्रक्रिया के तहत लखनऊ पहुंचने वाले हैं, जबकि दिल्ली में नामांकन से जुड़ी तैयारियां पूरी की जा रही हैं। प्रस्तावकों के नाम भी लगभग तय बताए जा रहे हैं और संभावना है कि वे निर्विरोध नामांकन दाखिल करेंगे।
कुल मिलाकर, प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर यह संभावित बदलाव भाजपा की आगामी चुनावी रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है। अंतिम फैसला अभी बाकी है, लेकिन इस चर्चा ने प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण और बहस को जन्म दे दिया है।
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