सलेमपुर/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)।नवरात्र पर्व में नौ दिन मां दुर्गा के अलग अलग रुपों की पूजा अर्चना होती है।मां जगत जननी जगदम्बा के आराधना के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना होती है।इनका यह स्वरूप परम् शांतिदायक और कल्याण कारी होता है।उक्त बातें नगर के टीचर कालोनी में आयोजित मां दुर्गा सप्तसती का पाठ करते हुए आचार्य अजय शुक्ल ने श्रद्धालुओं से कही।उन्होंने बताया कि मां के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की भक्ति और पूरे मनोयोग से अर्चना करने से आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति की प्राप्ति होती है।धर्म शास्त्रों के अनुसार मां चंद्रघंटा ने असुरों के संहार के लिए अवतार लिया था। इनमें ब्रम्हा जी, विष्णु जी और बाबा भोलेनाथ की शक्ति समाहित है।ये अपने हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष व गदा धारण करती हैं।इनके मस्तक पर घण्टे के आकार के अर्द्ध चन्द्रमा विराजमान हैं।इसलिए ये चंद्रघंटा कहलाती हैं। भक्तों के लिए माता का यह रूप शांत और सौम्य है। मां की आराधना के लिए सर्वप्रथम स्नानादि करने के बाद पूजा स्थान पर गंगा जल छिड़ककर पूजा के समय सफेद, भूरा या स्वर्ण रंग का वस्त्र धारण कर ,माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि अर्पित कर मां के इस स्वरूप का ध्यान रखें।इसके बाद मां को प्रसाद के रूप में फल और केसर-दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग लगाएं।माता को शहद भी प्रिय है।ततपश्चात मां की आरती करें।पूजा के बाद किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।कथा के दौरान मनोज पांडेय, किरन देवी,नेहा पांडेय, किशन कुमार, प्रह्लाद मिश्र, मंजू देवी,प्रेमशीला देवी,अष्टभुजा पांडेय आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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