गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)l दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ में कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के संरक्षण में सप्तदिवसीय शीतकालीन योग कार्यशाला “योग एवं नाथपंथ” का शुभारंभ हुआ। यह कार्यशाला 15 दिसंबर तक चलेगी। कार्यक्रम की शुरुआत शोधपीठ के उपनिदेशक डॉ. कुशलनाथ मिश्र द्वारा गुरु गोरखनाथ के चित्र पर पुष्प अर्पित कर की गई। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. ऋषिका वर्मा, सहायक आचार्य, दर्शनशास्त्र विभाग, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर (उत्तराखंड) शामिल हुईं।
सुबह 8:30 बजे योग प्रशिक्षण सत्र आयोजित हुआ जिसे प्रशिक्षक डॉ. विनय कुमार मल्ल ने संचालित किया। उन्होंने सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, सिंहासन, पद्मासन, उत्तानपादासन सहित अनेक योगासन और प्राणायाम का प्रशिक्षण दिया। इस सत्र में एक दर्जन से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की।
इसके बाद 11 बजे ऑनलाइन माध्यम से योग विषयक व्याख्यान आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता डॉ. ऋषिका वर्मा ने कहा कि नियमित योगाभ्यास से शारीरिक बीमारियों में कमी आती है और जीवन अधिक संतुलित बनता है। उन्होंने अष्टांग योग के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि ध्यान योग का प्रमुख अंग है, जो मन को स्थिरता और मानसिक शांति प्रदान करता है। उन्होंने कर्म, ज्ञान, राज, भक्ति, हठ और मंत्र योग सहित योग के विभिन्न प्रकारों का विस्तृत वर्णन भी प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का संचालन शोधपीठ के रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार ने किया, जबकि सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह ने मुख्य वक्ता एवं सभी प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया। इस अवसर पर सहायक ग्रंथालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, शोध अध्येता डॉ. हर्षवर्धन सिंह, चिन्मयानन्द मल्ल समेत कई शिक्षक और प्रतिभागी उपस्थित रहे।
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