🕯️ 15 अक्टूबर: उन महान आत्माओं की याद, जिन्होंने दुनिया पर छोड़ी अमिट छाप
15 अक्टूबर इतिहास के पन्नों में उन महान व्यक्तित्वों के निधन की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने जीवनकाल में साहित्य, धर्म, स्वतंत्रता संग्राम और कला के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। आइए जानते हैं इस दिन अलग-अलग वर्षों में किन महान विभूतियों ने दुनिया को अलविदा कहा।
1595 – फ़ैज़ी (फ़ारसी कवि)
फ़ैज़ी, जिनका जन्म 1543 ईस्वी में भारत के शेरशाह सलिम के काल में हुआ, फ़ारसी साहित्य के अत्यंत प्रतिष्ठित कवि माने जाते हैं। उन्हें शेरशाह और अकबर के दरबार में विशेष सम्मान प्राप्त था। फ़ैज़ी ने अपने कविताओं और गीतों के माध्यम से प्रेम, समाज और आध्यात्मिक चेतना को अभिव्यक्त किया। उनके शेर और काव्य संग्रह आज भी साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
1918 – साईं बाबा
साईं बाबा, जिन्हें शिर्डी के साईं बाबा के नाम से जाना जाता है, भारत के महान संत और समाज सुधारक थे। उनका जन्म महाराष्ट्र के शिर्डी में हुआ था। वे धर्म, मानवता और सेवा के प्रतीक माने जाते हैं। साईं बाबा ने अपने उपदेशों के माध्यम से मानवता, करुणा और भाईचारे का संदेश दिया, जो आज भी करोड़ों लोगों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत है।
1961 – सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ हिंदी साहित्य के अमर कवि थे। 1896 में बनारस (वर्तमान वाराणसी), उत्तर प्रदेश में जन्मे निराला ने सामाजिक सुधार, स्वतंत्रता संग्राम और मानवीय संवेदनाओं पर आधारित कविता लिखी। उनका साहित्य पीढ़ियों तक भारतीय संस्कृति और भावनाओं को समृद्ध करता रहा।
1999 – दुर्गा भाभी (स्वतंत्रता संग्राम सेनानी)
दुर्गा भाभी, जिनका असली नाम दुर्गादेवी था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नायिका थीं। 1909 में जन्मी, उन्होंने ब्रिटिश राज के खिलाफ साहसिक कारनामों में भाग लिया। उनकी नेतृत्व क्षमता और देशभक्ति आज भी स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा है।
2020 – भानु अथैया (ऑस्कर विजेता ड्रेस डिज़ाइनर)
भानु अथैया भारतीय सिनेमा की विश्वप्रसिद्ध फैशन डिजाइनर थीं। 1941 में जन्मी, उन्होंने ‘गांधी’ फिल्म के लिए ऑस्कर पुरस्कार विजेता पोशाक डिजाइन कर अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त की। उनके क्रिएशन ने भारतीय परिधान कला को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित किया।
ये सभी महान विभूतियाँ अपनी कला, ज्ञान, सेवा और देशभक्ति के माध्यम से मानवता को समृद्ध करती रही हैं। उनका योगदान समाज और संस्कृति में अमिट छाप छोड़ गया है।
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