नशे का प्रभाव परिवार और समाज पर पड़ता है, इससे दूर रहें : डॉ.अरविन्द पांडेय
नशामुक्ति को जन आंदोलन का रूप दिया जाना जरूरी – डॉ.विनीत पांडेय
बरहज/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
किसी एक व्यक्ति की नशे की लत से परिवार और समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना ही इसका सर्वोत्तम इलाज है। नशे की आदत को छोड़ने के लिए पीड़ित को ऐसे लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए, जो नशा ना करते हों। साथ ही सकारात्मक विचार रखते हों। उक्त बातें स्थानीय बाबा राघवदास भगवानदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय,आश्रम बरहज में राजनीति विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अरविन्द पांडेय ने शिक्षक पर्व कार्यक्रम के अंतर्गत शुक्रवार को राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा ‘नशा: व्यक्ति व समाज के लिए घातक’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि नशा, नाश का द्वार है। नशे की लत व्यक्ति को सबसे पहले परिवार से दूर करती है। साथ ही अपनी बुरी आदत की वजह से पीड़ित आर्थिक तंगी की दौर से गुजरता है, जिसकी वजह से उसमें नकारात्मक भाव पैदा होते है और समय के साथ उसके करीबी मित्र भी उसका साथ छोड़ देते हैं। यह मन, मस्तिष्क एवं समाज तीनों को खराब करता है। अपने अध्यक्षीय भाषण में प्राचार्य प्रो.शम्भुनाथ तिवारी ने कहा कि काफी संख्या में युवा नशा कर रहे हैं। उन्हें जागरूक होना होगा। इसके लिए इस तरह कि जागरूकता कार्यक्रम हर क्षेत्र में स्वयंसेवकों द्वारा चलाई जा रही है। कहा कि गांव-गांव घर-घर में लोग व्यसनों से मुक्त हों इसके लिए हम सब कटिबद्ध हों। नशामुक्ति को जन आंदोलन का रूप दिया जाना आज जरूरी है। नशा के सेवन से आज हर घर, परिवार प्रभावित हैं तथा इसका सबसे बुरा प्रभाव भावी पीढ़ी पर पड़ रहा है। अगर एक परिवार में कोई एक व्यक्ति भी नशाखोरी करता है, तो सिर्फ वही प्रभावित नहीं होता है बल्कि इसका बुरा नतीजा पूरा परिवार भोगता है। संचालन कार्यक्रम अधिकारी डॉ विनीत पांडेय ने की। इस दौरान प्रमुख रूप से सज्जन कुमार गुप्ता, डॉ विनय तिवारी, विनय मिश्र, अंतिमा तिवारी, पलक गोंड, रंजन भारती, शुभम् सिंह, सोनी सिंह आदि मौजूद रहे।
इनबॉक्स
नशा उन्मूलन का लिया संकल्प
राष्ट्रीय सेवा योजना महाविद्यालय इकाई के स्वयंसेवकों एवं सेविकाओं ने हाथ उठाकर नशा न करने तथा नशा उन्मूलन करने का संकल्प लिया।
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