
नई दिल्ली(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) संसद का मानसून सत्र सोमवार को आरंभ होते ही विपक्षी दलों के तीखे विरोध और नारेबाजी की भेंट चढ़ गया। सत्र के पहले दिन विपक्षी सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में जोरदार हंगामा किया। विपक्ष की ओर से पहलगाम आतंकी हमला, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता संबंधी दावे, और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग की गई। इन मुद्दों को लेकर विपक्ष ने सरकार पर जवाबदेही से भागने का आरोप लगाया।
हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई। स्पीकर ओम बिरला ने विपक्षी सांसदों से बार-बार शांति बनाए रखने और संसद की गरिमा बनाए रखने की अपील की, लेकिन हंगामा जारी रहा।
इस बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर यह आरोप दोहराया कि उन्हें संसद में अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब भी वे सरकार की नीतियों और निर्णयों पर सवाल उठाना चाहते हैं, तब उन्हें बोलने से रोका जाता है।
राहुल गांधी के इस आरोप पर भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने तीखा पलटवार करते हुए कहा, “राहुल गांधी को संसद में बोलने से कोई नहीं रोक रहा है। लेकिन उन्हें पहले नियमों और प्रक्रिया का सम्मान करना सीखना होगा। अगर वे गंभीरता से किसी मुद्दे पर बात करना चाहते हैं, तो उसके लिए तय प्रक्रिया के अनुसार नोटिस दें। लेकिन बिना नियम माने वे सिर्फ राजनीतिक स्टंट करना चाहते हैं।”
प्रसाद ने यह भी कहा कि संसद कोई मंच नहीं है जहां केवल नारेबाजी हो, बल्कि यह नीति और बहस का पवित्र स्थल है, जहां सबको बोलने का अधिकार है – लेकिन मर्यादा के साथ।
सत्र के पहले दिन का सार ,विपक्ष ने कई मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा किया।राहुल गांधी ने फिर से सदन में बोलने न दिए जाने का आरोप लगाया।
बीजेपी की ओर से पलटवार करते हुए उन्हें प्रक्रिया का पालन करने की सलाह दी गई।कार्यवाही बार-बार बाधित होने के कारण महत्वपूर्ण विधायी कार्य आगे नहीं बढ़ सका।
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