अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दान कर किया पुत्र दीर्घायु की कामना

कांच बांस के बहंगियां, बहगीं लचकत जाए गीत से अध्यात्मिक बना माहौल

दीपों की जगमग रोशनी में छठ घाट, हर तरफ दिखा अद्भुत नजारा

महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि शुभ योग में जिले के सभी छठ घाटों पर वर्ती महिलाओं का जनसैलाब उमड़ा। जिलाधिकारी अनुनय झा व पुलिस अधीक्षक सोमेन्द्र मीणा ने कलेक्ट्रेट स्थित चौधरी चरण सिंह सरोवर पर पहुंच कर विधि-विधान से छठ माता की पूजा-अर्चना की। अस्ताचलगामी भगवान भुवन भास्कर सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर सुख-समृद्धि परिवार का वरदान मांगा। इस दौरान दीयों की जगमग लौ की रोशनी से छठ घाट जगमगा उठा। छठ गीतों की पारम्परिक धून ने माहौल को अध्यात्मिक बना दिया। पूजन-अर्चन की मनोहारी अद्भुत नजारा देखते ही बनी। परिजनों संग व्रती महिलाओं के पांव छठ घाटों की ओर बढे़। नए-नए परिधानों में सजी महिलाएं, युवतियां और उनके संग बच्चों के चेहरे उत्साहित नजर आए। अपराह्न तीन बजे शहर व गांव की हर गलियां व सड़को पर अद्भुत नजारा मन को मोह लिया। जहां सिर पर डाला लिए परिजनों के मन में छठ माता के प्रति अथाह भक्ति का भाव दिखा। वही महिलाओं की टोली से निकले छठ माता के पारम्परिक गीतों के स्वर माहौल को अध्यात्मिक बना दिया। शाम के चार बजते-बजते छठ घाट आस्था के सैलाब से खचा-खच भर गए। शंख ध्वनि संग वैदिक मंत्रोच्चार गुंजायमान हुई। व्रती महिलाओं ने छठ माता की पूजन-अर्चन शुरू किया। शुभ मुहूर्त की घड़ी आई। अस्ताचलगामी भुवन भास्कर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर सुन्दर परिवार सदा बना रहे कामना की। छठ माता की जयकारा से पूरा छठ घाट गूंज उठा। महराजगंज नगर के बलिया नाला छठ घाट पर आस्था की जनसैलाब उमड़ी। व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर पुत्र प्राप्ति व उसके दीर्घायु की कामना की। इस दौरान बलिया नाला पुल के उत्तर व दक्षिण तरफ बने छठ घाटों की अद्भुत छटा देखते ही बनी। दीपकों के जगमग रोशनी में छठ वेदी और घाट की मनोरम दृश्य सभी को अपनी ओर आकर्षित किया। नगर के गायत्री शक्तिपीठ, उद्योग विभाग, चिउरहां, पिपर देउरां, पड़री स्थित छठ घाट पर व्रती महिलाओं ने छठ माता का पूजन अर्चन कर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दान किया। दउरा और सूप में फल व ठेकुआ लिए छठ घाटों पर पहुंचे व्रतियों संग परिजनों की अद्भुत नजारा मन को मोह लिया। पारम्परिक गीत से माहौल छठ मय बन गया। दोपहर बाद व्रती महिलाएं और उनके संग नई-नई परिधानों में सजी-धजी युवतियां घर से निकली, तो पूरा माहौल ही आध्यात्म के रंग में रंग गया। इस दौरान छठ घाटों पर जगमग रोशनी की मनोहारी छटा देखते ही बनी। ज्यों ही भुवन भास्कर भगवान सूर्य ने अस्ताचल को चले, व्रती महिलाओं ने उन्हें अर्घ्य देकर पुत्रवती, अखंड सौभाग्यवती की वरदान मांगा। फिर व्रती महिलाएं और परिजन घरों को लौट गईं। छठ गीत से कस्बा व शहर सराबोर हो गए। यहां यह गीत मन को अपनी ओर बरबस खींच रही थी। केलवा जे फरेलां घवद से…ओह पर सुगा मड़राय…। गीत ने कठोर व्रत को प्रेरित करने पर बल दिया। कांच ही बांस के बहंगियां, बहगीं लच कत जाए… गीत के बोल से छठ घाट की राह आसान कर दी। छठ मईया के महिमा जाने सब संसार…. के गीत ने तो माहौल को छठ मय बना दिया।

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