जिलाधिकारी के नेतृत्व में विभिन्न अधिकारियों के पैनल ने बताये युवाओं को सफलता का मंत्र, दिए प्रश्नों के उत्तर
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। जिलाधिकारी दिव्या मित्तल की पहल पर रविवार को आईएएस एवं पीसीएस की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए एक विशेष मार्गदर्शन सत्र का आयोजन मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के अंतर्गत राजकीय आईटीआई में किया गया, जिसमें विद्यार्थियों को न केवल परीक्षा की रणनीति बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास बनाए रखने के उपाय भी सुझाए गए। सीडीओ प्रत्यूष पांडेय, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर श्रुति शर्मा, एडीएम प्रशासन जैनेंद्र सिंह, एसडीएम सलेमपुर दिशा श्रीवास्तव, एसडीएम बरहज विपिन द्विवेदी, एसडीएम रुद्रपुर हरिशंकर लाल, जिला विकास अधिकारी रविशंकर राय सहित जनपद के वरिष्ठ अधिकारियों के पैनल ने युवाओं को परीक्षा की तैयारी के संबन्ध में विस्तृत जानकारी दी तथा उनके प्रश्नों का उत्तर भी दिया। सत्र के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता। सतत परिश्रम, अनुशासन, डेडिकेशन व अभ्यास से बड़ी से बड़ी मंजिल को हासिल किया जा सकता है। सिविल सेवा के माध्यम से समाज व राष्ट्र के लिए योगदान करने का प्रभावी माध्यम प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम जो भी परीक्षा दे रहे हैं उसका पैटर्न व सिलेबस जान लें।आईएएस की परीक्षा में ऑप्शनल विषय वही चुनें जिसमें वास्तविक रुचि हो, क्योंकि रुचिपूर्ण विषय को पढ़ना आसान और टिकाऊ होता है। उन्होंने इस मिथक को भी तोड़ा कि सिविल सेवा की तैयारी केवल बड़े शहरों में ही संभव है—इंटरनेट क्रांति के बाद आज छोटे जनपदों में भी सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं, और एकाग्रता के साथ यहां रहकर भी उत्कृष्ट तैयारी की जा सकती है। सी-सैट को लेकर छात्रों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए जिलाधिकारी ने सुझाव दिया कि इसकी तैयारी आसान टॉपिक्स से शुरू करें, प्रश्नों को हल करते समय ऑप्शंस को ध्यान से पढ़ें और सवालों में छिपे कीवर्ड्स को पहचानने की आदत डालें। उन्होंने यह भी कहा कि हर छात्र को सिलेबस पूरी तरह कंठस्थ होना चाहिए और उससे जुड़े समसामयिक मुद्दों पर गहरी दृष्टि बनाए रखनी चाहिए। दैनिक रूप से एक हिंदी और एक अंग्रेज़ी अखबार पढ़ना जरूरी है, विशेषकर एडिटोरियल पेज, जो विश्लेषणात्मक सोच को विकसित करता है। समाचारों को केवल जानना नहीं, बल्कि यह भी समझना जरूरी है कि कोई घटना क्यों और कैसे घटी।
एक छात्रा द्वारा पूछे गए एंजायटी से संबंधित प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने सलाह दी कि नियमित रूप से योग करें, खुद पर विश्वास रखें और अच्छे मित्रों के साथ समय बिताएं। उन्होंने ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते’ का उदाहरण देते हुए छात्रों से निष्काम भाव से अध्ययन करने का आग्रह किया। पढ़ाई के दौरान प्रत्येक टॉपिक के शॉर्ट नोट्स बनाना आवश्यक बताया गया, ताकि अंतिम समय में पुनरावलोकन सरल हो सके।
जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि जीवन में किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए समर्पित रहना आवश्यक है, इसलिए प्लान बी न बनाएं—पूरा ध्यान एक ही दिशा में केंद्रित करें, तो बाकी उपलब्धियां स्वतः ही मिल जाएंगी। अंत में उन्होंने छात्रों को आश्वस्त किया कि यूपीएससी और यूपीपीएससी जैसी परीक्षाओं में माध्यम कोई बाधा नहीं है—हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों माध्यमों से लगातार सफल अभ्यर्थी चयनित हो रहे हैं। प्रारंभिक परीक्षा के लिए मॉक टेस्ट और मेंस के लिए आंसर राइटिंग का अभ्यास जरूर करें। अभ्यास ही सफलता की मूल कुंजी है। मुख्य विकास अधिकारी प्रत्यूष पांडेय (आईएएस) ने छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता, यदि उसे ठान लिया जाए तो उसे प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परीक्षा को लेकर दिमाग में अनावश्यक दबाव या हौव्वा न बनाएं, क्योंकि यह डर अक्सर हमारी क्षमता को सीमित कर देता है। सफलता का रास्ता केवल निरंतर मेहनत और सकारात्मक सोच से होकर गुजरता है। प्रत्येक छात्र की सोच, पृष्ठभूमि और समझने की गति अलग होती है, इसलिए किसी और की रणनीति की नकल करने की बजाय अपने विवेक का प्रयोग करें और अपनी क्षमतानुसार एक व्यावहारिक एवं संतुलित रणनीति तैयार करें। श्रुति शर्मा (आईएएस) ने अपनी यात्रा साझा करते हुए बताया कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसके लिए एक प्रेरणादायक माहौल बनाना आवश्यक होता है। एक सकारात्मक सर्किल का निर्माण करें, जो आपके लक्ष्य की ओर लगातार प्रेरित करता रहे। समाचार पत्रों का नियमित अध्ययन करें और अपनी क्षमता के अनुसार रणनीति तैयार करें। स्वयं की ताकत और कमियों को पहचानना बेहद जरूरी है, ताकि तैयारी को उसी अनुरूप ढाला जा सके। यह स्पष्ट होना चाहिए कि आप सिविल सेवक क्यों बनना चाहते हैं—यह सवाल आपकी तैयारी की दिशा तय करता है। अनुशासन और टाइम टेबल का पालन सफलता की कुंजी है। परीक्षा की प्रकृति और उसकी अपेक्षाओं को समझें, सिलेबस को गहराई से पढ़ें और टॉपिकवार नोट्स तैयार करें। प्रारंभिक परीक्षा के लिए तथ्यात्मक ज्ञान और सटीकता जरूरी है, जबकि मुख्य परीक्षा में उत्तर लेखन की कला का महत्व है। उत्तर लेखन में दक्षता के लिए सीमित स्रोतों से गहराई से अध्ययन करें, एनसीआरटी और मानक पुस्तकों की सूची को आधार बनाएं। प्रतिदिन एक अच्छा अखबार पढ़ना न केवल करेंट अफेयर्स मजबूत करता है, बल्कि विश्लेषणात्मक सोच भी विकसित करता है। एडीएम प्रशासन जैनेंद्र सिंह ने निरंतर मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। एसडीम सलेमपुर दिशा श्रीवास्तव ने कहा कि सभी परीक्षाओं का सिलेबस व मांग अलग-अलग होती है, इसलिए एक ही लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें। एसडीएम बरहज विपिन द्विवेदी ने अनुशासित परिश्रम पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सिलेबस के प्रत्येक टॉपिक से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु तैयार होने चाहिए। एसडीएम रुद्रपुर हरिशंकर लाल ने पिछले वर्षों के प्रश्नों को हल करने की सलाह दी। एएसडीएम धीरेंद्र यादव ने भी परीक्षा की बारीकियों से छात्रों को अवगत कराया। इस दौरान अभ्युदय योजना के अंतर्गत जनपद देवरिया में कोचिंग प्राप्त कर अंतिम रूप से नौकरी प्राप्त करने वाले पांच युवाओं को सम्मानित भी किया गया। कामिनी तिवारी, शिवम सिंह, नीरज गौतम, राजकुमार प्रसाद तथा कृपानंद यादव का चयन उत्तर प्रदेश पुलिस आरक्षी भर्ती-2023 में अंतिम रूप से हुआ है। जिलाधिकारी ने समस्त सफल अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं दी। जिला समाज कल्याण अधिकारी जैसवार लाल बहादुर ने बताया कि मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के अंतर्गत जनपद देवरिया में संचालित अभ्युदय क्लास में स्मार्ट क्लास, वाई फाई, डिजिटल बोर्ड, अनुभवी एवं प्रोफेशनल शिक्षक, समय समय पर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मार्गदर्शन, पीडीएफ और प्रिंटेड नोट्स, नियमित रूप से टॉपिक/विषय /संपूर्ण कोर्स आधारित टेस्ट, निशुल्क अभ्युदय पुस्तकालय इत्यादि की सुविधा उपलब्ध है। वर्तमान समय में अभ्युदय कोचिंग के लिए आवेदन प्राप्त किये जा रहे हैं। युवा सिविल सेवा, जेईई/नीट, वन डे एग्जाम आदि की तैयारी के लिए आवेदन कर सकते हैं। विस्तृत जानकारी के लिए युवा जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय, विकास भवन देवरिया में संपर्क कर सकते हैं।
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