भाटपार रानी/ देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
अपील में लिखा हिंदू जन मानस को सुदृढ़ करने के लिए पुरातन के प्रति समर्पित होने के लिए मार्मिक पांती में लिखा है सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा लिखा है।
मेरे प्रिय क्षेत्रवासियों
हम सब जब तक गाँव गाँव में नहीं जाएंगे और जबतक हम सभी के द्वारा जनजागरण नहीं होता है। तब तक हमें सिर्फ फेसबुकिया ज्ञान अर्जित करने से कुछ भी काम समाज अथवा हिन्दू किसी के हित में कुछ भी नहीं होने वाला है फेसबुक ,वाट्सएप, सिर्फ सुचना के साधन मात्र है, ग्रुप बना लेने मात्र से काम नहीं होता है अखाड़ा में उतरना पड़ता है तब जा कर ही कहीं समाज एवं संस्कृति का हित संभव हो पाता है| सिर्फ आदर्शों की शेखी बघार देने से काम नहीं चलने वाला है, पार्टी पौवा का चक्कर छोड़ दें की हमको ये मिल जायेगा हम वो हो जाएंगे जो वे चुनाव जीत जायेंगे, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है ना ही होने वाला है। अब हमें चाहिए कि समर्पित रुप सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में हिन्दू जनमानस के लिए काम करें आवश्यकता आज इस बात की है। राजनीति साधन मात्र होनी चाहिए साध्य नहीं, तब जाकर कहीं समाज का कल्याण सम्भव है, नहीं तो फिर रोना रोते ही रहेंगे, साथ ही अपने ही लोगों द्वारा राजनीति के शिकार भी होते जायेंगे |पारंपरिक रूप से हिन्दू सामाजिक व्यवस्था के जो व्यवस्था कार थे उन्होंने कुछ व्यवस्था दी उसका भी पहले अध्ययन और अनुगमन आवश्यक है | हम पुरोहितों का, पंडितों का, ब्राह्मणों की उपेक्षा का पाप करके अपना राजनीतिक हित साधने के लिए हिन्दू सामाज कल्याण का स्वांग रचकर समाज भला किसी भी स्थिति में नहीं कर पायेंगे, पहले पुरोहिती व्यवस्था को मजबूत करना होगा, कुलगुरु परम्परा को मजबूत करना होगा, मठ मंदिरों के नवनिमांण हों लेकिन जो पुराने हैं उनकी व्यवस्था रखरखाव ठीक है कि नहीं पहले इसपर विचार करना चाहिए, क्षेत्र में बहुत से धार्मिक स्थल हैं जहाँ साधु नहीं, और कुछ जगह निरक्षर, गांजा भांग के सेवी हैं जो युवा पीढ़ी को भी बर्बाद कर रहे हैं |
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