उसका स्मरण, मनन कर
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मौत शब्द तो डराने वाला होता है,
जिसे सुन हर जीव काँप जाता है,
सत्य यह है, कि जीते जी जो कष्ट,
होता है, मृत्यु के बाद भूल जाता है।
अक्सर रिश्तों व परिवार के बारे में,
कुछ ऐसे ही भ्रम पैदा किये जाते हैं,
वस्तुस्थिति यह है कि समय आने पर
रिश्ते-परिवार साथ साथ खड़े होते हैं।
जिस तरह एक पौधे से वृक्ष बन
जाने में बहुत वक्त लग जाता है,
पर तूफ़ान का एक झटका उस
पेंड़ को धराशायी कर देता है।
एक दूसरे के प्रति विश्वास पनपने
में भी तो बहुत समय बीत जाता है,
परंतु हमारे मध्य विश्वास टूटने में
तनिक भी समय नहीं लगता है।
मनुष्य के व्यक्तित्व को परिभाषित
करने के लिये दो बातें महत्वपूर्ण हैं,
हमारा धैर्य जब हमारे पास कुछ न हो,
व बर्ताव जब हमारे पास सब कुछ हो।
धैर्य रख परमात्मा पर विश्वास रख,
जीवन व्यतीत हो रहा घड़ी घड़ी कर,
हे मेरे मन, तेरा समय ख़त्म हो रहा है,
आदित्य उसका स्मरण मनन कर।
कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ
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