शिशु के उन्नयन, उत्थान और विकास में मां की भूमिका अहम- बऺगीता

युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ महाराज एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महराज की पावन पुण्य स्मृति में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला का समापन समारोह

महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा )।
दिग्विजय नाथ इंटरमीडिएट कॉलेज चौक बाजार महराजगंज में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ महराज एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महराज की पावन स्मृति में आयोजित त्रिदिवसीय व्याख्यानमाला के समापन दिवस पर कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्राथमिक विद्यालय पकड़ियार खुर्द की प्रभारी प्रधानाध्यापिका बंगीता ने शिशु की प्रथम शिक्षिका मां एवं परिवार की भूमिका विषय पर सारगर्भित व्याख्यान देते करते हुए कहा कि संसार में सबसे अधिक यदि किसी का प्रेम होता है तो वह मां का प्रेम है।गर्भधारण के पश्चात् ही मां का गर्भस्थ शिशु के प्रति अगाध लगाव हो जाता है। शिशु के उत्थान उन्नयन और विकास में मां के साथ ही परिवार की भी अहम भूमिका होती है ।मां की कोई परिभाषा नहीं होती है मां स्वयं में परिपूर्ण है और मां का कोई विकल्प भी नहीं है ।मां एवं परिवार के द्वारा ही शिशु युगांतकारी परिवर्तन कर सकता है। मां के लिए उसका शिशु संसार का सबसे अनमोल धरोहर है। उन्होंने ध्रुव की कथा सुनाते हुए कहा कि बच्चों को सही दिशा और मार्ग दर्शन प्राप्त हो तो वह निश्चित ही जीवन में सबसे आगे बढ़ेंगे। मां ही शिशु की प्रथम शिक्षिका एवं परिवार की प्रथम पाठशाला होती है। उन्होंने कहा कि मां आज की गूगल है। हम कोई भी समस्या का समाधान मां से ही प्राप्त कर सकते हैं ।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि की भूमिका में गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ महाविद्यालय के संस्कृत की सहायक आचार्य डॉ मनीषा त्रिपाठी ने कहा कि मां की लोरी के साथ-साथ हम ज्ञान आचरण और संस्कार भी सीखते हैं इसके साथ ही परिवार के सभी सदस्यों के अनुभव से भी हम नित्य नवीन तथ्यों को सीखते हैं ।पहले संयुक्त परिवार की अवधारणा थी जिसे हम सभी सशक्त मजबूत और समर्थ रहते थे परंतु आज का एकल परिवार बहुत संकुचित है। उन्होंने एडिशन के मां की प्रेम की कहानी को बच्चों को अत्यंत नाटकीय ढंग से प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन एवं आभार ज्ञापन करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. हरिंद्र यादव ने कहा कि सनातन काल से ही हमारे संस्कार ही आज हमको आगे खड़े किए हैं। मां है तो घर है। मां के बिना घर अधूरा है। वे सौभाग्यशाली हैं जिनकी मां है ।उन्होंने कहा कि मां धरोहर है। मां को संजोकर रखिए उन्हें कभी भूलिए मत कभी सताइए मत ।मां ही वह शक्ति है जो आपके सभी बाधाओं और चुनौतियों को दूर कर सकती है। कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रह्मलीन द्वय महराज जी एवं सरस्वती के चित्र के सम्मुख पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम का संयोजन प्रमोद कुमार सिंह व सविता सिंह ने तथा संचालन पूनम सिंह ने किया। ‌‌इस अवसर पर दिग्विजय नाथ इंटरमीडिएट कॉलेज की प्रधानाचार्या सपना सिंह, विवेकानंद त्रिपाठी ,निर्मला चौधरी, शैलेश कुमार राय ,देवेंद्र प्रताप सिंह,अक्षय कुमार अग्निहोत्री , प्राथमिक अनुभाग के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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