मातृ दिवस है आज मनाते,
माँ की प्यारी प्यारी यादों में,
जीवन में है सबसे प्यारी माँ,
सबसे सुंदर सबसे न्यारी माँ।
पाला, पोषा फिर बड़ा किया,
पहली शिक्षक थी तुम माता,
अपने बाहों में दुलराया हमको,
तन का लहू (दुग्ध) पिलाया हमको।
उँगली पकड़ सिखाया चलना,
तुतलाकर बोलना सिखाया,
खुद भूखी तुम सो जाती थी,
भर पेट खिलाती थी हमको ।
यद्यपि माँ बस माँ होती है,
दिल से कोमल सरल नारी,
माँ तब दुर्गा भी बन जाती है,
बच्चों की रक्षा की हो बारी।
माँ के दूध का क़र्ज़ कैसे कोई उतारेगा,
आजीवन उसकी सेवा तन मन से कर
श्रवणकुमार सरीखा पुत्र खुद बनकर
माता पिता, अपने बचपन सा पालेगा।
मातृदिवस की आज बधाई,
सब माताओं मैं को देता हूँ,
आदित्य नारियाँ सबला हों,
यह शुभ कामनायें देता हूँ।
डा कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’
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