इंसान के गुनों और गुनाहों दोनों की
ही कीमत होती है, फ़र्क़ यह होता है,
कि गुनों की कीमत तो मिलती है,
गुनाह की कीमत चुकानी पड़ती है।
क्या फ़र्क़ पड़ता है, कि हम किस
कारण पिछड़ रहे, किसी भी हाल में
निराश नहीं होना है, आगे बढ़ना है,
धैर्य से डटकर जीत अर्जित करना है।
ईश्वर सत्य, पुरुषार्थ और स्वार्थ रहित
मित्र, चारों पर भरोसा रखना चाहिये,
दर्द तो हर इंसान के दिल में होता है,
दूसरे का दर्द समझे, खूबसूरत होता है।
स्वयं को यदि समाधान में भागीदार
बनाया जाय तो हमेशा सही होता है,
पर यदि समस्या का कारण बना जाय,
अपने लिये समस्या ले लेना होता है।
एक तरफ धागे हैं, जो उलझ
कर और भी क़रीब आ जाते हैं,
और दुसरी तरफ वो रिश्ते हैं,
जो थोड़ा उलझते ही टूट जाते हैं।
लोग किसी का सम्मान दो कारण
से करते हैं, एक उसके पास शक्ति है,
या उसका व्यवहार बहुत ही सुंदर है,
शक्ति क्षणिक है, बर्ताव आजीवन है।
मनुष्य जब यह सोचना!, शुरू कर
देता है कि वह तो सब जानता है,
तब वह सीखना बन्द कर देता है,
आदित्य तब बिखराव शुरू होता है।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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