इतिहास के दीप: 5 नवम्बर को जन्मे राष्ट्रभक्तों की प्रेरक गाथा

“5 नवम्बर के उजियारे दीप—जिन्होंने राष्ट्र, समाज और ज्ञान की दिशा बदली”


भारत का इतिहास उन विभूतियों से आलोकित है जिन्होंने अपने कर्म, संघर्ष और विचारों से समाज में अमिट छाप छोड़ी। 5 नवम्बर को जन्मे ऐसे ही अनेक महान व्यक्ति हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर राजनीति, साहित्य और विज्ञान तक में देश का गौरव बढ़ाया। आइए जानें इन पांच प्रेरणास्रोत व्यक्तित्वों के जीवन, शिक्षा और योगदान की विस्तृत झलक —

चित्तरंजन दास (जन्म : 5 नवम्बर 1870, कलकत्ता, पश्चिम बंगाल)
चित्तरंजन दास, जिन्हें “देशबंधु” के नाम से जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के ऐसे महान सेनानी थे जिन्होंने राष्ट्र की चेतना को प्रज्वलित किया। कलकत्ता के एक शिक्षित बंगाली परिवार में जन्मे दास ने इंग्लैंड से कानून की शिक्षा प्राप्त की और वकालत में ख्याति अर्जित की। उन्होंने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन को बंगाल में नई दिशा दी और स्वदेशी आंदोलन के प्रबल समर्थक बने। “बंगाल स्वराज्य पार्टी” के संस्थापक के रूप में उन्होंने कांग्रेस में नई ऊर्जा का संचार किया। चित्तरंजन दास का जीवन देशसेवा, न्याय और स्वाभिमान का प्रतीक रहा।

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बनारसी दास गुप्ता (जन्म : 5 नवम्बर 1917, भिवानी, हरियाणा)
बनारसी दास गुप्ता स्वतंत्रता सेनानी और हरियाणा राज्य के प्रख्यात नेता थे। भिवानी जिले के एक साधारण परिवार से निकलकर उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और जेल भी गए। भारत की स्वतंत्रता के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में जनसेवा की नई मिसाल कायम की। वे समाज सुधार, शिक्षा प्रसार और ग्रामीण विकास के प्रबल पक्षधर रहे। उनके कार्यकाल में हरियाणा ने औद्योगिक और सामाजिक प्रगति के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल कीं। उनकी सादगी और जनता से जुड़ाव आज भी प्रेरणा देता है।

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उदयराज सिंह (जन्म : 5 नवम्बर 1921, ग्वालियर, मध्य प्रदेश)
उदयराज सिंह हिन्दी साहित्य जगत के उस उज्ज्वल नक्षत्र थे जिन्होंने शब्दों के माध्यम से भारतीय संस्कृति की गहराइयों को उकेरा। ग्वालियर के राजघराने से ताल्लुक रखने वाले सिंह ने आधुनिक हिन्दी गद्य को भाव, भाषा और विषयवस्तु की दृष्टि से नया आयाम दिया। उनकी रचनाओं में सामाजिक यथार्थ, मानवीय संवेदना और भारतीय परंपरा का सुंदर संगम दिखाई देता है। उन्होंने अनेक पत्रिकाओं में लेखन कर साहित्य को समृद्ध किया। उनका योगदान हिन्दी भाषा की सृजनशीलता और गरिमा को बढ़ाने में मील का पत्थर सिद्ध हुआ।

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अर्जुन सिंह (जन्म : 5 नवम्बर 1930, चाहू गाँव, मैहर, मध्य प्रदेश)
अर्जुन सिंह भारतीय राजनीति के उस अध्याय का नाम हैं जिन्होंने शिक्षा और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में ऐतिहासिक पहल की। मध्य प्रदेश के मैहर में जन्मे सिंह ने प्रारंभिक शिक्षा वहीं प्राप्त की और बाद में राजनीति में कदम रखा। वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे। उनके कार्यकाल में शिक्षा के अधिकार और पिछड़े वर्गों के आरक्षण से जुड़ी नीतियाँ ऐतिहासिक रहीं। उन्होंने राजनीति को सेवा और समर्पण का माध्यम माना। अर्जुन सिंह का जीवन समाज में समान अवसर और शिक्षा विस्तार की भावना का प्रतीक है।

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सुहास पांडुरंग सुखात्मे (जन्म : 5 नवम्बर 1938, मुंबई, महाराष्ट्र)
भारतीय विज्ञान जगत में सुहास पांडुरंग सुखात्मे का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। मुंबई में जन्मे सुखात्मे ने इंजीनियरिंग और परमाणु विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की। वे भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के अध्यक्ष रहे और सुरक्षित परमाणु ऊर्जा के उपयोग में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने तकनीकी शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में नई दिशा दी। एक शिक्षक और लेखक के रूप में उन्होंने विज्ञान को जनसुलभ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जीवन समर्पण, अनुशासन और राष्ट्रनिर्माण का उदाहरण है।
5 नवम्बर के ये नायक केवल अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा के प्रतीक हैं। उन्होंने दिखाया कि समर्पण, शिक्षा और कर्म के बल पर व्यक्ति समाज की दिशा बदल सकता है। इन विभूतियों की जीवनगाथा हमें यह संदेश देती है — “राष्ट्र की उन्नति तभी संभव है जब हम अपने कर्तव्यों को ही अपना धर्म मानें।”

Editor CP pandey

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