गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। 26 अगस्त 2025 को आयोजित हो रहे मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दशम दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक डॉ वी नारायणन सुशोभित करेंगे और दीक्षांत वक्तव्य देंगे। दशम दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति एवं राज्यपाल, उत्तर प्रदेश आनंदीबेन पटेल करेंगी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय डॉ वी नारायणन को डॉक्टर ऑफ साइंस (डी एस सी) की मानद उपाधि से भी विभूषित करेगा। जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ अभिजित मिश्र ने बताया कि राजभवन, लखनऊ से भी दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में इसरो अध्यक्ष डॉ वी नारायणन को आमंत्रित किए जाने और उन्हें डी एस सी की मानद उपाधि से विभूषित किए जाने की सैद्धांतिक सहमति प्राप्त हो गई है। जल्द ही औपचारिक स्वीकृति मिल जाएगी। इसरो अध्यक्ष डॉ नारायणन ने भी दीक्षांत समारोह में सम्मिलित होने की सहर्ष स्वीकृति दे दी है। स्वीकृति मिलने के बाद दीक्षांत समारोह की तैयारियों में तेजी आ गई है। डॉ. वी. नारायणन, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वर्तमान अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव, एक प्रख्यात रॉकेट वैज्ञानिक और प्रोपल्शन विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका जन्म तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के एक छोटे से गांव में हुआ, जहां उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तमिल माध्यम के स्कूलों में प्राप्त की। उनकी शैक्षिक यात्रा प्रभावशाली रही है; उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और इसके बाद इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (AMIE) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एसोसिएट सदस्यता हासिल की। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एम.टेक और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी पूरी की। एम.टेक में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें रजत पदक से सम्मानित किया गया। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि ने उन्हें जटिल प्रोपल्शन प्रणालियों के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने का मजबूत आधार प्रदान किया।
डॉ. नारायणन ने 1984 में इसरो में अपने करियर की शुरुआत की और चार दशकों से अधिक समय तक संगठन के विभिन्न महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में योगदान दिया। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में उन्होंने साउंडिंग रॉकेट्स, ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एएसएलवी), और पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के लिए सॉलिड प्रोपल्शन सिस्टम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2018 में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) के निदेशक के रूप में नियुक्ति के बाद, उन्होंने जीएसएलवी एमके।।। के लिए सीई20 क्रायोजेनिक इंजन और 183 से अधिक लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम विकसित किए। चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 मिशनों में उनके तकनीकी सुझाव और नेतृत्व ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई। इसके अलावा, गगनयान मिशन और क्रू एस्केप सिस्टम के विकास में उनकी विशेषज्ञता ने भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन की नींव को मजबूत किया। उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें इसरो का उत्कृष्ट उपलब्धि पुरस्कार, नेशनल डिजाइन अवॉर्ड (2019), एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया का नेशनल एरोनॉटिकल अवॉर्ड, और अन्य प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं। उनकी नेतृत्व शैली और तकनीकी दृष्टिकोण ने इसरो को वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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