नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)रियाद में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को एक अहम रक्षा समझौते पर दस्तखत किए। इस “स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट” के तहत दोनों मुल्क अब एक-दूसरे के लिए सुरक्षा ढाल बन गए हैं। समझौते की सबसे अहम शर्त है – “अटैक ऑन वन, एग्रेसन अगेंस्ट बोथ”, यानी अगर किसी एक देश पर हमला होता है तो उसे दोनों पर हमला माना जाएगा और संयुक्त रूप से जवाब दिया जाएगा।
संयुक्त बयान में कहा गया कि यह डील आठ दशकों पुराने रिश्तों, भाईचारे और इस्लामी एकजुटता पर आधारित है। इसका उद्देश्य रक्षा सहयोग को गहरा करना और साझा रोकथाम (स्ट्रैटेजिक डिटरेंस) क्षमता को मजबूत करना है।
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खाड़ी क्षेत्र की बेचैनी और पाकिस्तान–सऊदी नजदीकी
हाल के दिनों में खाड़ी क्षेत्र में अस्थिरता साफ दिखी है। भारत–पाकिस्तान के बीच सैन्य झड़प और कतर की राजधानी दोहा पर इजराइल का हमला इसकी ताजा मिसाल है। इन हालात में सऊदी अरब के लिए यह समझौता सुरक्षा की गारंटी जैसा है। पाकिस्तान न केवल परमाणु ताकत रखता है, बल्कि उसकी सेना दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य ताकतों में गिनी जाती है। दशकों से पाकिस्तानी सैनिक सऊदी जमीन पर तैनात भी रहे हैं। अब इस रिश्ते को औपचारिक और कानूनी रूप दे दिया गया है।
पाकिस्तान की नजर से यह समझौता जीवनरेखा जैसा है। उसे सऊदी से आर्थिक मदद और कूटनीतिक सहारा मिलने की उम्मीद है। इसके जरिए पाकिस्तान खाड़ी की राजनीति में और गहराई से अपनी जगह मजबूत करना चाहता है।
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मुस्लिम देशों के लिए सामूहिक सुरक्षा का संदेश
बीते हफ्ते दोहा में हुई इस्लामिक अरब समिट में मिस्र ने मुस्लिम देशों का नाटो जैसा गठबंधन बनाने का सुझाव दिया था। भले ही उस समय कोई औपचारिक संगठन नहीं बना, लेकिन उसके कुछ दिनों बाद ही सऊदी–पाकिस्तान की यह डील सामने आना खास मायने रखता है।
कई मुस्लिम देशों को आशंका है कि इजराइल किसी भी वक्त हमला कर सकता है। दोहा में हमास नेताओं पर हुए ताजा हमले और कतर के सैनिक की मौत ने इस खतरे को और पुख्ता किया है। ऐसे में सऊदी–पाक गठबंधन इजराइल और ईरान दोनों के लिए नई चुनौती है।
भारत का रुख – “देखो, समझो और फिर कदम उठाओ”
इस रणनीतिक साझेदारी पर भारत ने भी नजरें गड़ा दी हैं। विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार को बयान जारी किया कि सरकार इस समझौते के असर और निहितार्थों का गहन अध्ययन करेगी।
MEA प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने कहा,
“हम इस समझौते के प्रभाव को राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिहाज से समझेंगे। यह डील पुराने रिश्तों को औपचारिक रूप देती है। भारत अपने राष्ट्रीय हितों और हर क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
भारत ने साफ संकेत दिया है कि वह किसी भी कदम में जल्दबाजी नहीं करेगा। फिलहाल उसका रुख है – सावधानीपूर्वक विश्लेषण और उसके बाद रणनीतिक कदम।
सऊदी अरब और पाकिस्तान का यह नया रक्षा समझौता खाड़ी और दक्षिण एशिया दोनों के समीकरणों को बदलने की क्षमता रखता है। जहां यह पाकिस्तान को कूटनीतिक सहारा और सऊदी को सैन्य सुरक्षा देता है, वहीं भारत जैसे पड़ोसी मुल्क के लिए यह नया चुनौतीपूर्ण परिदृश्य खड़ा करता है। भारत का संदेश स्पष्ट है – हालात पर नजर रखो, गहराई से समझो और राष्ट्रीय हितों के मुताबिक कदम उठाओ।
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