बलिया(राष्ट्र की परम्परा)आचार्य दयाशंकर शास्त्री जी महाराज ने कहा कि कलियुग में राम नाम जप से ही मानव की मुक्ति संभव है। कलियुग में महायज्ञ सबसे श्रेष्ठतम कार्य है। विज्ञान के शोध में भी प्रमाणित है कि महायज्ञ से पांच किलोमीटर तक के क्षेत्र का वायु शुद्ध व असंक्रमित हो जाती है। वैज्ञानिकों का अभिमत है कि महायज्ञ का धुआं जहां तक जाता है, वहां तक का वातावरण पवित्र हो जाता है।
महाराज जी शुक्रवार रात्रि को शहर के काशीपुर, मिश्रनेवरी में नवनिर्मित काली मंदिर परिसर में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ सह शतचंडी महायज्ञ में प्रवचन कर रहे थे। शास्त्री जी महाराज ने कहा कि सनातन परंपरा का सबसे मूल महायज्ञ ही है। महायज्ञ से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।वातावरण शुद्ध एवं पवित्र होता है। वायुमंडल विशुद्ध हो जाता है। महायज्ञ में सत्संग से लोगों के विचारों में परिवर्तन आता है। समाज के लोग शिक्षित होते है। महायज्ञ युवाओं में सभ्यता, संस्कृति जगाने का कार्य करता है। महायज्ञ में अग्नि प्रज्वलन के साथ पूजा पाठ चल रहा है।
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