मुंबई/ महाराष्ट्र(राष्ट्र की परम्परा)
मै पहचान हूं भारत की।
मैं शान हूं भारत माता की ।।
छंद हूं रस हूं सोरठा हूं ।
रामायण की चौपाई हूं।।
क्यों हिंदी को बोलने में,
अपना अपमान समझते हो ।|
क्यों अंग्रेजी बोल के तुम,
अपना अभिमान समझते हो।।
अनपढ़ से होकर शुरू मैं,
ज्ञानी तुम्हें बनाती हूं |।
पर अंग्रेजी फल से शुरू हो ,
जानवर तुम्हें बनाती है।।
मैं भारत का केंद्र बिंदु हूं।
मैं हिंदी हूं मैं हिंदू हूं।।
भारत के नस नस में हूं मै।
धरती से अम्बर तक हूं मैं।।
और भारत के 22 भाषाओं की में रानी हूं ।|
शान से अपनाओ मुझको मैं भारत की निशानी हूं |।
मैं पहचान हूं भारत की।
मैं शान हूं भारत माता की |।
रस हूं छंद हूं सोरठा हुं।
रामायण की चौपाई हूं।।
लेखिका-नूतन रॉय
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। धनतेरस और दिवाली पर सोना खरीदना शुभ माना जाता…
🪔 भैया दूज की कथा और महत्त्व भी जानें “दीपों की रोशनी में जब घर…
खेल (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रविवार से तीन मैचों की…
बिजनेस ( राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) सेक्टर को बीते…
दीपावली (या दिवाली) भारतीय संस्कृति का सबसे प्रमुख और शुभ त्योहार है। यह अंधकार पर…
19 अक्टूबर का दिन इतिहास में उन महान व्यक्तियों के योगदान और उनके निधन के…