सोमनाथ मिश्र की कलम से
आज के डिजिटल और आध्यात्मिक युग में कथावाचक कैसे बनें यह सवाल हजारों युवाओं के मन में है। पहले कथावाचन को केवल धार्मिक सेवा माना जाता था, लेकिन अब यह एक सम्मानजनक और तेजी से उभरता हुआ करियर विकल्प बन चुका है। राम कथा, श्रीमद्भागवत कथा, शिव महापुराण, देवी भागवत और अन्य धार्मिक–सांस्कृतिक कथाओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने वाले कथावाचकों को देश-विदेश में पहचान, सम्मान और अच्छी कमाई मिल रही है।
हालांकि यह पेशा बाहर से जितना सरल दिखता है, हकीकत में उतना ही गहन साधना और अभ्यास मांगता है। इसके लिए केवल धर्मग्रंथ पढ़ लेना पर्याप्त नहीं होता, बल्कि भाषा, प्रस्तुति, आवाज, भाव-भंगिमा और मंच संचालन जैसी कई विधाओं में दक्ष होना जरूरी है।
कथावाचक बनने के लिए कौन-सी योग्यताएं जरूरी हैं?
अगर आप जानना चाहते हैं कि कथावाचक कैसे बनें, तो सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि इसके लिए कोई एक निश्चित डिग्री नहीं होती। यह एक बहुआयामी कला है, जिसमें निम्नलिखित योग्यताओं का होना बेहद जरूरी है:
हिंदी और संस्कृत भाषा पर मजबूत पकड़
शास्त्रों, पुराणों और धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान
स्पष्ट और प्रभावशाली आवाज
भावपूर्ण अभिव्यक्ति और मंच पर आत्मविश्वास
श्रोताओं से संवाद बनाने की कला
इन सभी गुणों को विकसित करने के लिए आज कई तरह के कोर्स और ट्रेनिंग उपलब्ध हैं।
कथावाचक बनने के लिए किए जाने वाले प्रमुख कोर्स
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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से कथावाचन की पढ़ाई
वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय कथावाचक बनने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। यहां भाषा और शास्त्र से जुड़े कई कोर्स संचालित होते हैं। हाल ही में विश्वविद्यालय ने कथावाचन से जुड़े 10 ऑनलाइन कोर्स भी शुरू किए हैं, जिनके माध्यम से विद्यार्थी घर बैठे इस कला में पारंगत हो सकते हैं।
कथावाचक की कमाई कितनी होती है?
कथावाचक कैसे बनें के साथ-साथ सबसे बड़ा सवाल होता है कमाई का। इस पेशे में कोई फिक्स सैलरी नहीं होती। कमाई पूरी तरह आपकी लोकप्रियता, अनुभव और माध्यम पर निर्भर करती है।
शुरुआती स्तर पर: 10,000 से 1,00,000 रुपये प्रति कथा
प्रसिद्ध कथावाचक: लाखों रुपये प्रति कार्यक्रम
टीवी, यूट्यूब और डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े कथावाचक: महीने में लाखों से करोड़ों रुपये तक
जैसे-जैसे आपकी पहचान और फॉलोअर्स बढ़ते हैं, वैसे-वैसे आमदनी भी कई गुना बढ़ जाती है।
डिजिटल युग में कथावाचक के नए अवसर
आज कथावाचन केवल मंच तक सीमित नहीं रहा। यूट्यूब चैनल, फेसबुक लाइव, इंस्टाग्राम रील्स और पॉडकास्ट के जरिए कथावाचक देश-दुनिया तक अपनी आवाज पहुंचा रहे हैं। इससे न सिर्फ लोकप्रियता बढ़ती है, बल्कि विज्ञापन और ब्रांड सहयोग से अतिरिक्त आय भी होती है।
अगर आपके भीतर धर्म, भाषा और संवाद की शक्ति है और आप जानना चाहते हैं कि कथावाचक कैसे बनें, तो यह करियर आपके लिए बेहद उज्ज्वल हो सकता है। सही कोर्स, निरंतर अभ्यास, गुरु का मार्गदर्शन और डिजिटल प्लेटफॉर्म का सही उपयोग आपको एक सफल कथावाचक बना सकता है। यह पेशा न केवल आर्थिक समृद्धि देता है, बल्कि समाज में सम्मान और आत्मिक संतोष भी प्रदान करता है।
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