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गुरु बृहस्पति मंत्र: गुरू दिवस पर जपें ये शक्तिशाली मंत्र और खोलें भाग्य, धन, ज्ञान के द्वार

गुरु बृहस्पिपति को देवताओं के अधिष्ठाता, आचार्य और सभी ग्रहों का “गुरु” माना गया है। हिंदू धर्म और ज्योतिष में बृहस्पति का महत्व अत्यंत बड़ा है — वे ज्ञान, धार्मिकता, दान, भाग्य, समृद्धि और आध्यात्मिक गुणों के कारक हैं।
जब बृहस्पति की ऊर्जा हमारे पक्ष में होती है — जीवन में सम्मान, शिक्षा, सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक सम्पन्नता आती है। दूसरी ओर, अगर कुंडली में बृहस्पति कमजोर हो, तो कई बाधाएँ सामने आती हैं। ऐसे समय में बृहस्पति मंत्रों का नियमित जाप / अनुष्ठान बहुत लाभदायक माना गया है।

नीचे हम बृहस्पति मंत्रों का अर्थ, महत्व, लाभ, जाप विधि और विशेष समय को विस्तार से समझेंगे — साथ ही बताएँगे कि किन राशियों / लग्नों को विशेष मंत्र कौन सा जपना चाहिए

पंडित सुधीर मिश्र से

बृहस्पति मंत्र: अर्थ, महत्व और लाभ

  1. बृहस्पति मंत्रों का महत्व
    बृहस्पति को “देवगुरु” कहा जाता है क्योंकि वे देवताओं और ऋषियों के गुरु हैं।
    वे ज्ञान, बुद्धि, धर्म, नैतिकता, शिक्षा, दान, वैचारिक विकास आदि के प्रभारी हैं।
    यदि कुंडली में बृहस्पति शुभ हो तो व्यक्ति आदर्श, सम्मानित, दयालु, विवेकशील बनता है।
    अशुभ बृहस्पति की स्थिति से शिक्षा, स्वास्थ्य, धन, विवाह, संतति आदि में विषमता हो सकती है।
    मंत्रों के जप से बृहस्पति की कृपा प्राप्त की जा सकती है, दुष्प्रभाव न्यून हो सकते हैं और जीवन में समृद्धि, शांति और संतुलन आ सकता है।
  2. प्रमुख बृहस्पति मंत्र (Important Brihaspati Mantras)
    मंत्र का नाम मंत्र (देवनागरी / संक्षिप्त) अर्थ एवं विशेषता
    देव-गुरु बृहस्पति मंत्र देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचन सन्निभम । बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पितम।। मैं उन देवताओं व ऋषियों के गुरु, स्वर्ण सदृश, त्रिलोकों के ज्ञाता, बुद्धि स्वरूप बृहस्पति को नमन करता हूँ।
    बृहस्पति बीज मंत्र **ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः
    बृहस्पति गायत्री मंत्र **ॐ वृषभध्वजाय विद्महे करुनीहस्ताय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात्
    वैदिक ऋग्वेद मूल मंत्र वृषभं चर्षणीनां विश्वरूपमदाभ्यम् बृहस्पतिं वरेंयम् ऋग्वेद में उल्लिखित इस मंत्र में बृहस्पति की महिमा, व्यापकता व आदर व्यक्त हुआ।
  3. जाप विधि (How to Chant / Method)
  4. समय व मुहूर्त:
  • ब्राह्म मुहूर्त (सुबह 4–5 बजे) को सर्वोत्तम कहा गया है।
  • गुरुवार का दिन विशेष है।
  1. माला / उपकरण:
  • तुलसी माला या रुद्राक्ष माला उपयोग करें।
  • यदि संभव हो, पीला वस्त्र धारण करें — क्योंकि पीला रंग बृहस्पति का प्रतिनिधि है।
  1. उच्चारण और संख्या:
  • बीज मंत्र या देव-गुरु मंत्र का 108, 1008 या 19,000 बार जप करना प्रस्तावित है।
  • मंत्र का शुद्ध उच्चारण आवश्यक है — अक्षर में गलती से प्रभाव कमजोर हो सकता है।
  1. दिशा और मुद्रा:
  • मुख पूर्व या उत्तर की ओर करके जप करना लाभदायक माना गया है।
  • शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठें, मन को स्थिर रखें।
  1. भोजन / दान / अन्य उपाय:
  • गुरुवार को पीले वस्त्र, पीली चीजें (हल्दी, गुड़, चना) दान करें।
  • केले या ताड़वृक्ष के पास जल अर्पित करना, गुरु स्तुति पाठ करना आदि उपाय हो सकते हैं।
    किस राशि / लग्न को कौन सा मंत्र जपना चाहिए (पंडित सुधीर मिश्र शैली सुझाव)
    निम्नलिखित सुझाव सामान्य मार्गदर्शन हैं — व्यक्तिगत जन्मकुंडली और ग्रह स्थिति देखकर पंडित द्वारा विशेष मंत्र/अनुष्ठान तय करना उत्तम रहेगा:
    राशि / लग्न विशेष परिस्थिति (दोष / कमजोर बृहस्पति) उपयुक्त मंत्र / उपाय सुझाव
    सभी राशि / सामान्य यदि बृहस्पति कमजोर है या शिक्षा, प्रतिष्ठा, भाग्य में कमी हो ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः 108 × जप, गुरुवार को विशेष पूजा
    धनु / मीन (बृहस्पति की राशि) यदि नकारात्मक दशा हो (साढ़ेसाती, प्रतिकूल गोचर) बीज मंत्र जप + देव-गुरु मंत्र को एक साथ करना लाभदायक
    मिथुन / कन्या आदि राशि यदि बृहस्पति अन्य ग्रहों से द्वेष या संघर्ष में हो पहले शुद्धिकरण (धूप, गंध, सूर्यमुखी व्रत) करें, फिर मंत्र जप
    लग्न दोषी / जन्म लग्न में बृहस्पति न हो यदि जीवन में मार्गदर्शन, निर्णय, शिक्षा संबंधी समस्या हो बृहस्पति स्तोत्र या गायत्री मंत्र जप — “ॐ वृषभध्वजाय…”
    नोट: ये सुझाव सामान्य प्रकार के हैं। यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति जटिल है तो एक योग्य ज्योतिष से परामर्श कर लें।
rkpNavneet Mishra

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