डॉ. सतीश पाण्डेय व कैलाश सिंह की रिपोर्ट
महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। गोरखपुर के घंटाघर स्थित हरबंश गली के एक साधारण घर में 20 नवंबर 1964 को जन्मे पंकज चौधरी ने जिस राजनीतिक सफर की शुरुआत की, वह आज देश की सत्ता के शीर्ष गलियारों तक पहुंच चुका है।
औद्योगिक पृष्ठभूमि से आने वाले पंकज चौधरी ने शिक्षा से लेकर राजनीति तक हर पड़ाव पर अपनी अलग पहचान बनाई। पंकज चौधरी ने एम.पी. इंटर कॉलेज, गोरखपुर से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के बाद उन्होंने राजनीति का रास्ता चुना और 1989 में गोरखपुर नगर निगम से पार्षद का चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। इसी कार्यकाल में वे डिप्टी मेयर भी बने, जिससे नगर की राजनीति में उनकी मजबूत पकड़ बनी।
वर्ष 1989 में ही गोरखपुर से अलग होकर महराजगंज नया जिला बना। इसके बाद पंकज चौधरी ने महराजगंज को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया और पीछे मुड़कर नहीं देखा।1991 में भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले महराजगंज लोकसभा सीट से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और जीत दर्ज कर संसद पहुंचे। इसके बाद 1991 से 1996 और फिर 1996 से 1999 तक लगातार लोकसभा सदस्य चुने गए। राजनीति में उतार-चढ़ाव भी आए। 1999 से 2004 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2004 में उन्होंने फिर जोरदार वापसी की। 2009 में एक बार फिर हार मिली, मगर 2014 से पंकज चौधरी ने ऐसी जीत की लय पकड़ी कि अब तक लगातार लोकसभा चुनाव जीतते चले आ रहे हैं। उनकी राजनीतिक ताकत का एक बड़ा आधार महराजगंज जिला पंचायत रहा है। जिला पंचायत के गठन के साथ ही उनके बड़े भाई, उद्योगपति स्वर्गीय प्रदीप चौधरी प्रथम जिला पंचायत अध्यक्ष बने। इसके बाद पंकज चौधरी की माता उज्ज्वल चौधरी लगातार दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं। इतना ही नहीं, जिन पर भी पंकज चौधरी ने भरोसा जताया, वही जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचा। विपक्ष में रहते हुए भी उन्होंने जिला पंचायत पर अपना प्रभाव और नियंत्रण बनाए रखा, जिससे वे इस क्षेत्र में अजेय खिलाड़ी के रूप में पहचाने जाने लगे।
वर्ष 2021 में पंकज चौधरी को केंद्र सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिली और वे केंद्रीय मंत्रिमंडल में वित्त राज्य मंत्री बने। 2024 के लोकसभा चुनाव में पुनः जीत दर्ज करने के बाद वे एक बार फिर मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री के रूप में देश की आर्थिक नीतियों में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
नगर निगम से संसद और जिला पंचायत से केंद्र सरकार तक का यह सफर पंकज चौधरी की संगठन क्षमता, राजनीतिक सूझ-बूझ और जनाधार का प्रमाण है। हरबंश गली से शुरू हुई यह कहानी आज भारतीय राजनीति की एक मजबूत और प्रभावशाली गाथा बन चुकी है।
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