एनडीए की बड़ी बढ़त, महागठबंधन पीछे; मुकाबले की तस्वीर और साफ
बिहार (राष्ट्र की परम्परा)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना जारी है और शुरुआती रुझानों ने राज्य की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। गिनती के शुरुआती दौर से ही National Democratic Alliance (एनडीए) ने बढ़त बनाकर मुकाबले पर पकड़ मजबूत कर ली है।
तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को कई सीटों पर लाभ जरूर मिला है, लेकिन अब तक वे उस स्तर पर बढ़त नहीं बना सके हैं जिसकी उम्मीद उनके समर्थक कर रहे थे।
अधिकांश सर्वेक्षणों एवं एग्जिट पोल ने एनडीए के लिए 120 से 150 सीटें संभावित बताई थीं, जबकि महागठबंधन के लिए यह अनुमान 70-100 सीटों तक सीमित था।
वहीं इस बार मतदान में भी जनता का उत्साह चरम पर रहा और कुल लगभग 67% वोटिंग दर्ज की गई।
एनडीए क्यों मजबूत दिख रहा है?
एनडीए ने सामाजिक कल्याण योजनाओं, बेहतर प्रशासन (Good Governance) और मजबूत संगठन-तंत्र के दम पर अपनी पकड़ ग्रामीण से शहरी इलाकों तक बनाई। शुरुआती रुझानों से साफ है कि गठबंधन 2020 के प्रदर्शन से आगे निकलने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
महागठबंधन की चुनौतियाँ
सीट-बंटवारे में असहमति, रणनीति पर एकरूपता की कमी और कई क्षेत्रों में संगठनात्मक ढील महागठबंधन के सामने बड़ी चुनौतियों के रूप में उभरकर आई हैं। उनका जनाधार कई इलाकों में सक्रिय तो दिखा, लेकिन पूरे राज्य में एक तरंग पैदा करने में पूरी तरह सफल नहीं हो सका।
सामाजिक समीकरण और वोटिंग पैटर्न
बिहार की राजनीति में जातिगत व क्षेत्रीय समीकरण सदैव निर्णायक रहे हैं। पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, युवा वोटर और ग्रामीण तबके का रुझान इस बार तय करेगा कि सत्ता की कुर्सी किस गठबंधन के पास जाएगी।
इस बार एनडीए इन सभी बड़े वोट बैंक में अनुशासन व पकड़ मजबूत बनाए हुए दिखाई दे रहा है।
ग्रामीण आकांक्षाएँ और मुद्दे
किसानी, रोजगार, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे मुद्दे इस चुनाव में केंद्र में रहे। महागठबंधन ने परिवर्तन का नारा जरूर दिया, लेकिन इसे राज्यभर में एक बड़े आंदोलन के रूप में परिवर्तित नहीं कर पाया।
बहुमत का आंकड़ा और रुझान
243 सदस्यीय विधानसभा में 122 सीटें बहुमत के लिए आवश्यक हैं।
शुरुआती रुझान बदल सकते हैं, लेकिन फिलहाल तस्वीर काफी स्पष्ट होती दिख रही है।
ताज़ा रुझानों के अनुसार:
एनडीए गठबंधन — 152 सीटों पर आगे
महागठबंधन — 79 सीटों पर आगे
अन्य — 11 सीटों पर आगे
इन आंकड़ों के आधार पर एनडीए स्पष्ट बहुमत की स्थिति में पहुंचता दिख रहा है। यदि यह रुझान स्थिर रहा, तो एनडीए एक बार फिर सत्ता में वापसी करता दिखाई दे रहा है।
राजनीतिक प्रभाव
इस चुनाव का असर सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति—खासतौर से आगामी लोकसभा चुनावों—पर भी इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा। दोनों गठबंधन इसे 2026 की रणनीति तैयार करने के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव मान रहे हैं।
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