बलिया (राष्ट्र की परम्परा)। जिले की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक व जूनियर विद्यालयों में न तो पर्याप्त शिक्षक हैं और न ही मिड-डे मील योजना सही तरीके से संचालित हो रही है। परिणामस्वरूप बच्चों की पढ़ाई और पोषण, दोनों गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, बलिया के कई विद्यालयों में एक ही शिक्षक पूरी जिम्मेदारी संभाल रहा है। पढ़ाई की जगह शिक्षक को अधिकांश समय विभागीय सर्वे, रिकॉर्ड संधारण और मिड-डे मील वितरण जैसे कामों में उलझना पड़ता है। इस वजह से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही।
इधर, मिड-डे मील योजना की स्थिति भी बेहद खराब है। कई विद्यालयों में बच्चों को मानक के विपरीत भोजन दिया जा रहा है। अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि अक्सर भोजन देर से और बेहद घटिया गुणवत्ता का परोसा जाता है। कुछ जगह तो बच्चों को मिड-डे मील के नाम पर सिर्फ नमक-रोटी परोसने की घटनाएं भी सामने आई हैं।
शिक्षा प्रेमियों का कहना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी बैठकों और रिपोर्टों में योजनाओं को सफल बताते हैं, जबकि हकीकत इसके ठीक उलट है। शिक्षक की कमी, भ्रष्टाचार और लापरवाही ने शिक्षा व्यवस्था को खोखला कर दिया है।
अभिभावकों ने सरकार से मांग की है कि जिले में तत्काल पर्याप्त शिक्षकों की तैनाती की जाए और मिड-डे मील योजना की निष्पक्ष जांच कराई जाए। साथ ही, दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित हो, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
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