गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा)
ब्लाक खोराबार अंतर्गत ग्रामसभा डांगीपार के कालीजी के स्थान पर गांव के फगुहारों ने ढोल झाल के साथ चौताल डेढ़ताल बैसवाड़ा उलारा आदि गीतों को गाकर फगुनहटा बेआर बहाया ।
ग्रामसभा के पूर्व प्रधान गिरीश चंद्र सिंह के सौजन्य से गांव से विलुप्त हो रहे परंपरागत होली गीतों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से गांव में बचे कुछ पुराने फगुआ गीतों को गाने वालों को जुटाकर ग्रामसभा के काली जी के स्थान पर आधी रात तक होली गीत गाए गये जहां सभी लोगों ने होली गीतों में चौताल डेड़लाल बैसवाड़ा व उलारा गीतों को गाया, जिनका साथ आज के युवा पीढ़ी ने बखूबी दिया । हालांकि जिस तरीके से नई पीढ़ी को इस परंपरागत होली गीतों के साथ जुड़ना चाहिए उस तरीके से जुड़ाव नहीं हो पा रहा है । करण आज के आधुनिक जमाने में ऐसे गायको के ना तो पूछ है और ना ही युवाओं की रुचि है । अब गांव में बचे एक्का दुक्का लोग ही ऐसे कार्यक्रमों को महत्व देते हैं जबकि इस विरासत को बचाना हम सभी का फर्ज है, ऐसा ना हो की कहीं ए विधा विलुप्त हो जाय । पहले के समय में बसंत पंचमी के दिन सम्मत गाड़ने के दिन से ही फगुआ गीतों की शुरुआत हो जाती थी जिसमें ढोल नगाड़े टिमकी का बड़ा महत्व होता था लेकिन इस समय टिमकी नगाड़े बजाने वाले हैं ही नहीं, किसी तरीके से गांव में भजन कीर्तन में ढोल बजाने वाले लोग हैं और उन्हीं से काम चल रहा है । इस चकाचौंध दुनिया में डीजे को प्रमुखता देकर उसके कानफोड़ू आवाज पर थिरकने वालों के बीच इस तरीके से परंपरागत होली गीत हो रहा है तो यह बड़ी बात है । ऐसी विलुप्त होती विधाओं को बचाने, इसका संरक्षण व संवर्धन करने के लिए पूरे समाज को आगे आना चाहिए ।
इस दौरान जगदीश सिंह पटेल,ऋषिराज सिंह,जगदयाल,झीनक सिंह,ज्योति सिंह राणा,दिनेश,धरम,प्रदीप सिंह,जगदयाल सिंह,आकाश सिंह,शैलेष सिंह,कमलेश्वर सिंह,जितेंद्र कुमार,शंभू शर्मा,रमायन यादव,राकेश सिंह आदि उपस्थित रहे।
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