रूप – स्वरूप अनूप दिख्यो,
प्रभु को मन मानस छाई रह्यो है,
चरण कमल चूमन मन लाग्यो,
श्रीराम नाम अविराम जप्यो है।
राम लला को स्वरूप निहारत,
तन रोम रोम पुलकाय रह्यो है,
मन को कलुष अरू पाप हर्यो,
शुचिता रुचिता तन आई गयो है।
भुवनेश्वर राम बृह्म अनामय हैं,
आदि अनादि अनन्त अजित हैं,
रावण, त्रिसिरा, बालि विजित हैं,
त्रैलोक उबारण अवतार लिये हैं।
तप, त्याग, प्रेम की वह मूरति हैं,
मर्यादा पुरुषोत्तम नाम पड़्यो है,
श्रीराम को जीवन अनुराग भर्यो,
निसि वासर तिन नाम जप्यो है।
साँस सुआश सुभाग्य बन्यों,
मन मंदिर पावन भाव जग्यो है,
आदित्य कवि सब साँच कह्यो,
चित पावन प्रीति प्रतीत लग्यो है।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
संभल (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) नगर पालिका की लापरवाही एक बार फिर मौत का सबब…
नई दिल्ली(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) देशभर के लाखों शिक्षकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार…
जयपुर (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) में सदस्य पद पर कार्यरत…
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। जनपद न्यायाधीश मोहन लाल विश्वकर्मा के निर्देशन में आगामी…
छात्राओं ने वाद विवाद मे अपना अपना पक्ष रखा बरहज/देवरिया (राष्ट्र क़ी परम्परा)l स्थानीय बाबा…
गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह…