फाइलेरिया प्रबंधन के गुर सिखा मरीजों को बांटी गयी देखभाल किट

असहनीय पीड़ा के साथ जीवन गुजार रहे मरीजों को मिलेगी राहत

बहराइच (राष्ट्र की परम्परा) फाइलेरिया रोग मच्छरों के काटने से होता है। इसे हाथी पांव भी कहते हैं। रोग होने के 10 से 15 सालों बाद इसके लक्षण प्रकट होते हैं। जीवाणुओं की संख्या अधिक होने पर प्रभावित अंगों में दर्द,लालपन एवं रोगी को बुखार हो जाता है। फाइलेरिया प्रभावित अंगों में शुरूआत में सूजन के लक्षण होते हैं l बाद में यही सूजन स्थायी और लाइलाज हो जाता है। देखभाल और प्रबंधन से बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकता है। इसके लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पयागपुर में रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांग्ता रोकथाम (एमएमडीपी) कैंप आयोजन किया गया । कैंप में 21फाइलेरिया मरीजों को स्वयं देखभाल के उपाय सिखाये गए और उन्हें एमएमडीपी किट बांटी गयी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये l चिकित्सा अधीक्षक डॉ थानेदार ने बताया कि फाइलेरिया रोग हो जाने के बाद व्यक्ति को जीवन भर इस रोग के साथ ही जीना पड़ता है। हालांकि कुछ दवाओं व प्रभावित अंगो की साफ-सफाई व व्यायाम की मदद से मरीज को आराम मिल सकता है l यह रोग न हो इसके लिए हर साल सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाकर दो साल से अधिक उम्र के लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाती है। साल में एक बार और लगातार पांच साल दवा के सेवन से इस रोग से बचा जा सकता है। यह अभियान आगामी 10 अगस्त से चलाया जाना प्रस्तावित है। ऐसे करें प्रभावित अंगों की देखभाल – पाथ संस्था के आरएनटीडी नोडल डॉ अनंत विशाल ने बताया कि फाइलेरिया शरीर के लटक रहे जुड़वा अंगों जैसे – स्त्री-पुरुष के हाथ,पैर , पुरुषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तनों को प्रभावित करता है। इस कारण से इन अंगों में सूजन आ जाती है l मरीज को असहनीय पीड़ा का सामना भी करना पड़ता है। प्रभावित अंगों मुख्यतः पैर से पानी रिसता है । ऐसे में प्रभावित अंगों को दिन में दो से तीन बार हल्के हाथों से धुलना चाहिए । इसे कभी रगड़ना नहीं चाहिए। नियमित साफ सफाई से संक्रमण का खतरा नहीं रहता और सूजन में भी कमी आती है। लापरवाही बरतने से अंग खराब होने लगते हैं । संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए मरीजों को स्वयं देखभाल के उपाय सिखाये गए और उन्हें एमएमडीपी किट व आवश्यक दवाएं दी गयी। फाइलेरिया निरीक्षक रत्नेश रतनाकर ने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो किसी की जान तो नहीं लेती लेकिन जिंदा आदमी को मृत समान बना देती है। संक्रमित होने पर व्यक्ति को हर महीने एक-एक सप्ताह तक तेज बुखार ,पैरों में दर्द ,जलन के साथ बेचैनी ,प्रभावित अंगों में सूजन व त्वचा में लालीपन की शिकायत होने लगती है। जनपद में फाइलेरिया के 412 मरीज –फाइलेरिया नियंत्रण अधिकारी दीपमाला ने बताया कि जनपद में फाइलेरिया के 412 मरीज हैं। इन मरीजों को ब्लाक वार मारबिडिटी मैनेजमेंट कैंप आयोजन कर प्रभावित अंगो की स्वयं देखभाल के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके अलावा मरीजों के उपयोग में आने वाली एम0एम0डी0पी0 किट जिसमें बाल्टी,टब,मग,तौलिया, साबुन व लगाने के लिए क्रीम दी जा रही है। उन्होंने बताया कि अभी तक 58 फाइलेरिया मरीजों को प्रशिक्षित कर किट वितरित की जा चुकी है। आगामी दिनों में शेष लोगों को स्वयं देखभाल के लिए प्रशिक्षित कर किट वितरित किया जाएगा। इस मौके पर एडीएमओ रमतेज यादव ,बीपीएम अनुपम शुक्ल ,अजय वर्मा ,मनीष द्विवेदी सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित रहे ।

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