वाशिंगटन (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। Forbes की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के सैन्य कर्मियों के लिए बनाए गए ड्यूटी-फ्री स्टोर्स में अब Trump Wine और साइडर बेचे जा रहे हैं। रिपोर्ट सामने आने के बाद अमेरिकी राजनीति में नैतिकता बनाम लाभ की नई बहस छिड़ गई है।
वाशिंगटन डीसी, सेंट्रेविले और वर्जीनिया के सैन्य स्टोर्स में ट्रंप-लेबल वाली वाइन की बिक्री की पुष्टि प्रशासनिक अधिकारियों ने की है, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि “इससे कोई कानून नहीं टूटा है”। वहीं, ट्रंप प्रतिनिधियों ने साफ किया कि यह सिर्फ एक लाइसेंसिंग डील है और ट्रंप का इससे कोई प्रत्यक्ष जुड़ाव नहीं है।
CREW ने उठाए नैतिकता पर सवाल
वॉचडॉग संगठन Citizens for Responsibility and Ethics in Washington (CREW) ने इस बिक्री को “संघीय सुविधाओं के निजी उपयोग” का उदाहरण बताया।
CREW प्रवक्ता जॉर्डन लिबोविट्ज़ ने कहा:
“कानूनी तौर पर भले कुछ साबित न हो, लेकिन नैतिक दृष्टि से यह बेहद अनुचित है। अगर सरकार इन उत्पादों को थोक में खरीद रही है, तो यह संविधान के पारिश्रमिक खंड का उल्लंघन हो सकता है।”
ट्रंप परिवार की क्रिप्टो डील और भारत-अमेरिका विवाद
यह विवाद ट्रंप फैमिली के सेल्फ-इनरिचमेंट पैटर्न की ओर इशारा करता है। साल 2025 की शुरुआत में ट्रंप परिवार के स्वामित्व वाले World Liberty Financial (WLF) ने पाकिस्तान की नई Crypto CH Council (PCC) के साथ एक हाई-प्रोफाइल साझेदारी की थी।
इस डील में ट्रंप “मुख्य क्रिप्टो एडवोकेट” हैं, जबकि उनके बेटे एरिक और डोनाल्ड जूनियर के पास कथित रूप से 60% हिस्सेदारी है।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने इस डील को लेकर कहा था कि—
“ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ अपने व्यावसायिक हितों को प्राथमिकता दी, जिससे अमेरिका-भारत संबंधों में ठंडक आई और चीन से निपटने की सामरिक साझेदारी कमजोर हुई।”
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पहलगाम हमले से भी जुड़े तार
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस डील के बाद पाकिस्तानी डीप स्टेट को अप्रत्यक्ष समर्थन मिला, जिससे 26 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम देने की हिम्मत मिली। यह समझौता WLF के सह-संस्थापक जाचरी विटकॉफ ने किया था, जो ट्रंप के करीबी माने जाते हैं।
‘Trump Wine’ विवाद सिर्फ शराब बिक्री का मामला नहीं, बल्कि ट्रंप परिवार के कथित व्यावसायिक हितों, अमेरिकी सैन्य नैतिकता, और भारत-अमेरिका के बदलते रिश्तों से जुड़ा एक बहुस्तरीय राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।
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