सिकंदरपुर/बलिया (राष्ट्र की परम्परा)। बलिया जनपद के सिकंदरपुर तहसील क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से फर्जी अस्पतालों, पैथोलॉजी लैब और अल्ट्रासाउंड सेंटरों का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है। क्षेत्र में दर्जनों निजी अस्पताल, क्लीनिक और जांच केंद्र बिना पंजीकरण व योग्य डॉक्टरों के संचालित हैं। इन जगहों पर इलाज झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है, जिससे मरीजों की जान खतरे में पड़ रही है।
फर्जी अस्पतालों और झोलाछाप डॉक्टरों का जाल
सिकंदरपुर क्षेत्र में आर्थो, डेंटल, शिशु रोग, महिला रोग और जनरल फिजिशियन के नाम पर कई निजी अस्पताल चल रहे हैं, जिनमें न तो विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न ही मानक सुविधाएं। अधिकतर संस्थान बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। ग्रामीण और गरीब मरीज “सस्ते इलाज” के लालच में अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।
गलत इलाज और लापरवाही के कारण आए दिन मौतें होती हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग चुप्पी साधे बैठा है। कई मामलों में मृतकों के परिजनों पर दबाव बनाकर या पैसे लेकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।
पैथोलॉजी और अल्ट्रासाउंड सेंटरों में भी खेल
क्षेत्र में कई पैथोलॉजी लैब और अल्ट्रासाउंड सेंटर बिना अनुमति और बिना प्रशिक्षित तकनीशियनों के चल रहे हैं। गलत रिपोर्ट के कारण मरीजों की हालत और बिगड़ जाती है।
इसी तरह, दवा दुकानों में भी गड़बड़ी आम बात है — कई मेडिकल स्टोर बिना लाइसेंस या योग्य फार्मासिस्ट के संचालित हैं। कुछ दुकानदार होलसेल लाइसेंस पर खुदरा बिक्री कर दवा नियंत्रण अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
विभागीय मिलीभगत और लीकेज की शिकायतें
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी विभागीय जांच की बात होती है, उसकी जानकारी पहले से लीक हो जाती है। इससे अस्पताल संचालक पहले से “मैनेजमेंट” कर लेते हैं। पिछले कई वर्षों में कई लोगों की मौत झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही से हुई है, फिर भी कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई।
अधिकांश निजी अस्पतालों में एंबुलेंस, विशेषज्ञ डॉक्टर या आपातकालीन सुविधाएं तक नहीं हैं, केवल नामी डॉक्टरों के बोर्ड लगाकर इलाज किया जा रहा है।
अधिकारियों और नेताओं की प्रतिक्रिया
इस मामले पर नोडल अधिकारी (एडिशनल सीएमओ) डॉ. पद्मावती ने कहा कि “बिना पंजीकरण वाले अस्पतालों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। मुकदमे दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू है।”
वहीं भाजपा मंडल अध्यक्ष आकाश तिवारी ने बताया कि उन्होंने पहले भी अवैध अस्पतालों और जांच केंद्रों की शिकायत की थी, लेकिन जांच रिपोर्ट संतोषजनक नहीं रही। उन्होंने कहा —
“यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो मैं मुख्यमंत्री से मिलकर बड़ा कदम उठाऊंगा।”
इसी क्रम में पंदह निवासी बंटी राय ने भी क्षेत्र में संचालित फर्जी अस्पतालों और लैब की जांच कर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
सवाल उठता है…
जब सरकार सरकारी अस्पतालों में निशुल्क इलाज, दवाएं और योग्य डॉक्टरों की सुविधा दे रही है, तो आखिर जनता फर्जी अस्पतालों की ओर क्यों जा रही है?
यह स्वास्थ्य व्यवस्था और विभागीय निगरानी दोनों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
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