बाबा और गुरु दोनों अलग अलग होते हैं और हमें गुरु के शरण में जाना चाहिए-सुनीता कुमारी

पूर्णियां/ बिहार (राष्ट्र की परम्परा)। हम इंसानों को सांसारिक जीवन में कई सारी कठनाइयों का सामना करना पड़ता है जैसे स्वास्थ्य, रोजगार, सामाजिक सम्बन्ध, आर्थिक कमी, घर की जिम्मेदारियां, रिश्तो की जिम्मेदारियां, समाज की जिम्मेदारी राष्ट्र के प्रति भक्ति भावना के साथ-साथ राष्ट्र की सुरक्षा जिम्मेदारी, सभी को देखते हुए हम सभी इंसान एक तरह से अपने आप को बांधा हुआ पाते हैं जिम्मेदारियां में जकड़ा हुआ पाते हैं। जो इंसान सूझबूझ से काम लेता है वह तो हर एक जिम्मेदारियां को पूरा करते हुए जीवन में आगे बढ़ता चला जाता है परंतु, बहुत से सारे लोग ऐसे भी होते हैं जिनमें अनुभव और सुझबुझ का अभाव रहता है,सही सलाह देने वालों का अभाव रहता है, ऐसे लोग सही फैसला नहीं ले पाते और उनके जीवन की गाड़ी फंसते हुए आगे बढ़ती है,वे जीवन में अपने आप को उलझा हुआ पाते हैं,ऐसी स्थिति में वे झल्ला उठते हैं या अपने आप को मुक्त करने के लिए बहुत सारे उपाय सोचने लगते हैं । वे ऐसा सोचने लगते हैं कि, उनका सारा काम फटाफट होता चला जाए , ऐसा कोई चमत्कार हो जाए की उनकी सारी परेशानी पलक झपकते समाप्त हो जाए? ऐसी स्थिति में वह एक ऐसा व्यक्ति ढूंढते हैं जो उनकी सारी समस्याओं समाप्त कर दे, और वे ऐसा इसलिए सोचते हैं क्योंकि, उन्हें अपने कर्म और ईश्वर पर भरोसा नहीं होता है और न ही उनमें धैर्य होता है। ऐसे इंसान चमत्कार की उम्मीद लगा बैठता है और सोचते है कि, कोई ऐसा व्यक्ति आएगा जो उसके जीवन में आए समस्याओं का समाधान चुटकी बजाते हुए कर देगा। इंसानों की ऐसी ही सोच ने बहुत सारे बाबाओं को जन्म दिया है, ऐसे बाबा जो कमजोर आदमी के नब्ज़ को टटोलकर उसे समस्या का समाधान बताते हैं उन्हें अपनी बातों में ऐसा उलझातें है कि, सामने वाले को लगता है कि, उन्हें उनका तारणहार मिल गया?बाबा की कृपा से अब उनके जीवन में कोई भी समस्या नहीं रहेगी? इंसानों की इसी सोच ने बाबाओं की फौज खड़ी कर दी है ? झाड़ फूंक जादू टोना, तरह तरह के टोटके, तरह तरह के चमत्कार, सब इन बाबाओं ने पैदा किए हुए हैं?इन बाबाओं का प्रभाव हर क्षेत्र में इतना ज्यादा हैं कि, कोई भी क्षेत्र इन बाबाओं के प्रभाव से बचा हुआ नहीं है। चाहे सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक , नैतिक कोई भी क्षेत्र हो ,इन बाबाओं से नहीं बच पाया है। इनकी पैठ इतनी गहरी है कि, इन्होंने धर्म के वास्तविक स्वरूप को विकृत कर दिया है, अंधविश्वास और आडम्बर का घर बना दिया है उसी तरह राजनीति में भी इनकी पकड़ इतनी गहरी है कि, सत्ता का खेल इन बाबाओं के इर्द-गिर्द ही घुमता है।
सबसे ज्यादा नुकसान आमलोगों का होता हैं।
आम लोगो से बाबा का तो फायदा होता है मगर सामने वाले का नुकसान होता है ,क्योंकि वह समझ ही नहीं पाता कि, बाबा उन्हें शारीरिक मानसिक तौर पर अपने काबू में कर रहे हैं? क्योंकि लोगों को बेवकूफ बनाकर ठगना ऐसे बाबाओं का काम होता है धर्म के नाम पर रोजी-रोटी कमाना बाबो का काम होता है। हम मनुष्य को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि, गुरु और बाबा में जमीन आसमान का अंतर होता है। गुरु वे होते हैं जो हमें ज्ञान देते हैं, ऐसा ज्ञान देते हैं जिससे हम अपनी समस्याओं का समाधान धैर्य पूर्वक निष्ठा पूर्वक करते हैं ,सभी स्थिति परिस्थिति को समझते हुए सही फैसला लेते हैं ,जीवन को सामान्य और सरल बनातें हैं। जब हमें गुरु से ज्ञान मिलता है तो, समस्याओं को समाधान मिलता है। हमारे जीवन में गुरु कोई एक व्यक्ति नहीं होते जो हमें सही रास्ता दिखाते है बल्कि, हर वो व्यक्ति गुरु होते है जो हमारे अच्छे और बुरे दोनों समय में हमारे साथ होते हैं। व्यक्ति का पहला गुरु माता-पिता होते हैं। दूसरा गुरु शिक्षक होते है और एक गुरु वे होते हैं जो संसार का वास्तविक चेहरा दिखाते हैं। गुरु का स्वरूप महात्मा तुल्य होता है,वे ज्ञान फैलते हैं न कि, भ्रम।अब हमारे ऊपर है कि, अपनी समस्याओं के समाधान के लिए बाबाओं के आश्रम में भटकते हैं या उस महान गुरु के शरण में जाते हैं जो हमेशा हमारे साथ हो ते है जैसे हमारे माता-पिता, हमारे शैक्षणिक गुरु या शिक्षण से संबंधित पुस्तकें, क्योंकि ज्ञान ही धर्म और सभी समस्याओं के समाधान का मर्म है।

Karan Pandey

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