November 21, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

जिह्वा पर सदा श्रीराम नाम हो

न सोने की थाली माँगता हूँ,
न चाँदी का चम्मच चाहिये,
नहीं दौलत की भूख है मुझे,
वफ़ा करता हूँ वफ़ा चाहिये।

उम्मीद से भरी, एक सुबह,
ख़ुशियों भरी मेरी शाम हो,
रात को आ जाये गहरी नींद,
जिह्वा में सदा श्रीराम नाम हो।

जीवन में जो अजीज होते हैं,
उनकी कद्र तो सभी करते हैं,
मैं नाचीज़ तो उनकी भी कद्र
करता है जो नाचीज़ होते हैं।

अभिमान वह होता है, जब किसी
को लगता है उसने कुछ किया है,
सम्मान तब मिलता है, जब दुनिया
को लगता है उसने कुछ किया है।

कद्र व वक्त कितने कमाल के होते हैं,
जिसकी कद्र करो वो वक्त नहीं देता,
जिसको वक्त दो वो कद्र नहीं करता,
जिसे दोनों दो वह मूर्ख समझता है। ‎

उपवन की रखवाली करने को
एक माली की ज़रूरत होती है,
आदित्य राह दिखाने वाले की,
जीवन में वैसी ही ज़रूरत होती है।

•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’