बलिया (राष्ट्र की परम्परा)
घनश्याम तिवारी
जिले के एक लाख 83 हजार 506 सक्रिय मनरेगा श्रमिकों के लिए बड़ी राहत की खबर है। केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को नए कलेवर में “विकसित भारत–गारंटी फॉर आजीविका मिशन (वीबी-जी रामजी)” के नाम से लागू करने को मंजूरी दे दी है। नई योजना के तहत जॉबकार्डधारक श्रमिकों को अब साल में 125 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।
योजना को मंजूरी मिलने के बाद जिले में मनरेगा सेल के कर्मचारियों ने जॉबकार्डधारकों का ई-केवाईसी कराने की प्रक्रिया तेज कर दी है। अधिकारियों के अनुसार ई-केवाईसी के जरिए सभी श्रमिकों का सत्यापन किया जाएगा, जिससे फर्जी जॉबकार्डधारकों को योजना से बाहर किया जा सकेगा।
नई योजना में राज्यों को कृषि कार्यों को ध्यान में रखते हुए वर्ष में 60 दिन का नो-वर्क पीरियड अधिसूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे खेती के मौसम में मजदूरों की कमी नहीं होगी और किसान समय पर कृषि कार्य कर सकेंगे।
अब तक मनरेगा के तहत श्रमिकों को साल में 100 दिन काम की गारंटी थी, लेकिन मजदूरी भुगतान में देरी एक बड़ी समस्या रही है। कई पंचायतों में मजदूरी भुगतान में चार से पांच महीने तक लग जाते थे, जिससे मजदूर निजी कार्यों या पलायन की ओर मजबूर हो जाते थे।
वीबी-जी रामजी योजना में सरकार ने मजदूरी भुगतान के लिए अधिकतम 15 दिन की समय सीमा तय की है। यदि तय समय से अधिक विलंब होता है तो संबंधित जिम्मेदार अधिकारी पर मुआवजा देने का कड़ा प्रावधान किया गया है।
मनरेगा की डिप्टी कमिश्नर रिचा सिंह ने बताया कि नई योजना को लेकर समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी मिली है। फिलहाल सक्रिय जॉबकार्डधारकों का ई-केवाईसी कराने का आदेश प्राप्त हुआ है, जिस पर काम शुरू कर दिया गया है। उच्चाधिकारियों की ओर से विस्तृत दिशा-निर्देश मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया स्पष्ट होगी।
योजना के नए स्वरूप में रोजगार को चार प्रमुख क्षेत्रों— जल सुरक्षा, ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका से जुड़ा ढांचा और जलवायु अनुकूल कार्यों— से जोड़ा गया है। साथ ही श्रमिकों की ऑनलाइन फेस-मास्क अटेंडेंस व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे फर्जीवाड़े पर पूरी तरह रोक लगेगी और काम के दिनों में बढ़ोतरी से श्रमिकों की आय भी बढ़ेगी।
किसान संघ के अध्यक्ष अखिलेश सिंह (देउली) ने योजना का स्वागत करते हुए कहा कि कृषि कार्य के लिए नो-वर्क पीरियड की व्यवस्था किसानों के हित में है। इससे खेती के समय मजदूरों की उपलब्धता बनी रहेगी और उत्पादन प्रभावित नहीं होगा।
नई योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ-साथ श्रमिकों का पलायन भी रुकने की उम्मीद जताई जा रही है।
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