राजापाकड़। कुशीनगर(राष्ट्र की परम्परा)श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व भारतीय इतिहास के लिये अलौकिक व आकर्षक है। उन्होंने मानव मात्र के कल्याण के लिये अपने जन्म से लेकर निर्वाण पर्यन्त अपनी सरस एवं मोहक लीलाओं तथा परम पावन उपदेशों द्वारा अमूल्य शिक्षण दिया था। यह बातें दुदही ब्लाक के ग्राम पंचायत दुदही के बंगरा रामबक्स राय गांव में आयोजित नौ श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के छठवें दिन बुधवार की रात श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला सुनाते कथावाचक पं.रामायण तिवारी ने कही। कथावाचक ने पूतना वध की कथा सुनाते हुए कहा कि कंस ढूंढ-ढूंढ कर तीन माह तक के नवजात शिशुओं का वध करवाने लगा। उसने पूतना नाम की एक क्रूर राक्षसी को ब्रज में भेजा। कंस के भेजने पर पूतना सुंदर युवती का रूप धारण करके नंद के घर में घुसी और विष लगे अपने स्तनों से कृष्ण को दूध पिलाने लगी।पूतना के स्तनों में हलाहल विष लगा हुआ था। अन्तर्यामी श्रीकृष्ण सब जान गये और वे क्रोध करके अपने दोनों हाथों से उसका कुच थाम कर उसके प्राण सहित दुग्धपान करने लगे। उनके दुग्धपान से पूतना के मर्म स्थलों में अति पीड़ा होने लगी और उसके प्राण निकल गए। उन्होने कहा कि नियम पूर्वक यह कथा सुनने से प्राणी को मोक्ष प्राप्त होता है और आत्मा जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाती है। इस दौरान सहायक आचार्य दिनेश मणि तिवारी, यजमान वशिष्ठ राय, मालती राय, संतोष राय, डा. राकेश राय, मधुर श्याम शुक्ल, किरन देवी, रमावती देवी,
संतोष राय, सत्येंद्र उर्फ गुड्डू शुक्ल, रघुनाथ राय, रौनक राय, हर्षित राय, बाबूनंद कुशवाहा आदि मौजूद रहे।
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