वाशिंगटन (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। यूएस–सऊदी इन्वेस्टमेंट फोरम के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब को आधिकारिक रूप से ‘मेजर नॉन-NATO एलाय’ घोषित कर दिया। ट्रंप ने इसे दोनों देशों के बीच बढ़ते भरोसे, गहरी रणनीतिक साझेदारी और बदलते वैश्विक समीकरणों का प्रतीक बताया।
ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर
ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका और सऊदी अरब ने एक महत्वपूर्ण सामरिक रक्षा समझौता साइन किया है। इस समझौते के तहत अमेरिका सऊदी को—
लगभग 300 उन्नत अमेरिकी टैंक, आधुनिक फाइटर जेट, और हाई-टेक सैन्य उपकरण बेचेगा।
ट्रंप ने कहा, “अमेरिका दुनिया के सबसे बेहतरीन सैन्य उपकरण बनाता है और सऊदी अरब अब बड़ी मात्रा में इन्हें खरीद रहा है। यह साझेदारी आने वाले वर्षों में वैश्विक सुरक्षा संतुलन तय करेगी।”
1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश, 270 अरब डॉलर के नए सौदे
फोरम में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिका में 1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान कर बड़ा आर्थिक संदेश दिया। इसके अलावा—
270 अरब डॉलर के व्यावसायिक समझौते विभिन्न अमेरिकी और सऊदी कंपनियों के बीच साइन हुए।
ट्रंप ने कहा कि इस निवेश से हजारों नई अमेरिकी नौकरियां पैदा होंगी।
AI, परमाणु ऊर्जा और क्रिटिकल मिनरल्स में भी साझेदारी
फोरम में दोनों देशों ने कई रणनीतिक क्षेत्रों में साझेदारी को मजबूत किया:
• सिविल न्यूक्लियर एनर्जी
• आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
• क्रिटिकल मिनरल्स
• और उन्नत टेक्नोलॉजी
ट्रंप ने कहा कि ये समझौते अमेरिका–सऊदी साझेदारी को नई ऊंचाई देंगे और वैश्विक तकनीकी व रक्षा शक्ति संतुलन को नया आकार देंगे।
ईरान पर बड़ा बयान: “काला बादल हट गया”
ट्रंप ने ईरान की परमाणु क्षमता पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा मध्य पूर्व पर “काला बादल” थी, जिसे अमेरिका ने तेजी से खत्म किया।
उन्होंने दावा किया कि ईरान अब खुद समझौते के लिए तैयार है।
सूडान में अमेरिकी हस्तक्षेप की तैयारी
सऊदी क्राउन प्रिंस की अपील के बाद ट्रंप ने सूडान में चल रहे गृहयुद्ध पर सीधा हस्तक्षेप करने के संकेत दिए।
उन्होंने कहा, “यह मुद्दा पहले मेरे एजेंडा में नहीं था, लेकिन क्राउन प्रिंस की मांग पर मैं सूडान में शांति के लिए मजबूत कदम उठाने के लिए तैयार हूं।”
सूडान: दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट
• 40,000 से अधिक मौतें
• 1.4 करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित
• RSF और सूडानी सेना के बीच हिंसक संघर्ष
• एल-फशर में RSF का कब्जा और बढ़ती हत्याएं
• 90,000 से अधिक लोग सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन
संयुक्त राष्ट्र ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट बताया है।
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