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नज़रें हैं बारिक

ज़ब सैनी को भी भाया था करनाल।

होना चाहते थे वह यहां के हो लाल।

हाँ अगर नहीं गली जो यहाँ पर दाल। 

फ़िर भाजपा को ये भी रहेगा मलाल। 

इसलिए अनिच्छा से बदल दी हैं सीट।

अब लाडवा में उन्हें कर दिया है फिट।

यहाँ मुख्यमंत्री अब भी है पसोंपेश में।

कब कैसे निकले लाडवा से जोश में?

उन्हें करना है पूरे हरियाणा का दौरा। 

अब तो समय भी बचा है थोड़ा-थोड़ा।

निभाना है नब्बे प्रचार की जिम्मेदारी। 

जीतेंगे छियालिस तभी होगी दमदारी।

भई जीतने का हुड्डा तो कर रहे हैं दावा।  

पता नहीं किस-किसको होगा पछतावा।

अभी सभी रख रहे याद चुनाव तारीख। 

तोल रहे सबको उनकी नज़रें हैं बारिक।

ज़ब सैनी को भी भाया था करनाल।

होना चाहते थे वह यहां के हो लाल।

संजय एम. तराणेकर 

Editor CP pandey

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