स्वच्छता अभियान का लग रहा पलीता, सरकार हो रही बदनाम करोड़ों खर्चने के बाद नहीं बदल रही गांवों की सूरत

📰 प्रतिवर्ष 8 करोड़ 20 लाख रुपये खर्च के बाद भी नहीं बदली गांवों की तस्वीर — कोपागंज ब्लॉक में सफाई व्यवस्था ध्वस्त, जिम्मेदार बने मूकदर्शक

रिपोर्ट : धीरेन्द्र त्रिपाठी

मऊ (राष्ट्र की परम्परा )।जनपद के कोपागंज विकास खंड की तस्वीर अभी भी गंदगी से ढकी है, जबकि हर साल सफाई व्यवस्था पर 8 करोड़ 20 लाख रुपये से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। सफाई कर्मियों की लंबी-चौड़ी फौज होने के बावजूद गांवों में नालियां बजबजा रही हैं, गलियां कूड़े से पटी हैं और सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी का अंबार लगा है। जिले के जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस जमीनी हकीकत पर आंखें मूंदे बैठे हैं।
🧹 सफाईकर्मी मोबाइल और बाइक में व्यस्त, झाड़ू और फावड़े गायब
पिछले वर्ष जिला मुख्यालय पर सफाई कर्मियों की नियुक्ति के समय ग्रामीणों को उम्मीद थी कि अब उनका गांव भी चमक उठेगा। लेकिन यह सपना जल्द ही टूट गया।
कोपागंज ब्लॉक के 81 गांवों में तैनात 152 सफाईकर्मी अब गांवों की सफाई करने के बजाय मोबाइल पर व्यस्त नजर आते हैं। गांवों की गलियों और नालियों में झाड़ू या फावड़ा चलाने की बजाय इन सफाई कर्मियों के हाथों में अब मोबाइल और मोटरसाइकिल ज्यादा दिखते हैं।

ये भी पढ़ें –ठंडी में सेहत का कवच: आंवला, गुड़ और धूप से बने रहें ऊर्जावान और रोगमुक्त

💰 वेतन पर हर साल 8 करोड़ 20 लाख रुपये खर्च, फिर भी गांव गंदे
प्रत्येक सफाईकर्मी को 45,000 रुपये मासिक वेतन मिलता है। यानी ब्लॉक स्तर पर हर महीने 68 लाख 40 हजार रुपये, और साल भर में 8 करोड़ 20 लाख 80 हजार रुपये से अधिक सफाई पर खर्च होते हैं।
इतनी बड़ी धनराशि खर्च होने के बावजूद गांवों की गलियां और नालियां गंदगी से अटी पड़ी हैं।

ये भी पढ़ें – राम मंदिर पर हमले की साजिश रच रहा था अदनान, एटीएस और दिल्ली पुलिस की संयुक्त जांच में बड़ा खुलासा

🏚️ सफाई उपकरण बने शोपीस, ठेले और फावड़े खा रहे जंग
ग्राम प्रधानों ने राज्य वित्त की धनराशि से सफाई के लिए कूड़ा ढोने के ठेले, झाड़ू, फावड़े तक की व्यवस्था की थी, लेकिन अब ये उपकरण प्रधानों के दरवाजे की शोभा बढ़ाते हुए जंग खा रहे हैं।
मनरेगा के तहत गांवों में पक्की नालियां, खड़ंजे और अन्य निर्माण कार्य तो हुए, लेकिन उनकी सफाई नहीं हो पा रही है।
🗣️ ग्रामीणों का आरोप – “न सफाई कर्मी दिखते हैं, न साफ नालियां”कोपागंज ब्लॉक के जहनियापुर, कोईरियापार, पारा, भगवानपुर, मीरपुर रहीमाबाद, अन्नूपार, धवरियासाथ, दर्पनरायनपुर, कसारा, महुआर, अलीनगर, खुखुन्दवा, पारा मुबारकपुर, सोडसर, चिश्तीपुर, काछीकला आदि गांवों के ग्रामीणों — राजेश, विनोद, मनोज, कमाल, दिवाकर, प्रवीण, धीरज, पंकज और भोला ने बताया कि
“गांव में सफाई कर्मी महीनों तक नहीं आते। अगर आते भी हैं तो केवल प्रधान या स्कूल के आस-पास हल्की सफाई करके चले जाते हैं।”

ये भी पढ़ें – खौफनाक वारदात: जमीन विवाद में भतीजे ने चाचा को मारी गोली, छठ पर्व पर फैली सनसनी

🔎 “सालों से नहीं देखा अपना सफाईकर्मी”
कई गांवों के ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने वर्षों से अपने गांव में तैनात सफाई कर्मी को देखा तक नहीं।
कुछ गांवों में तो लोगों को यह तक नहीं पता कि सफाईकर्मी पुरुष हैं या महिला।
📍गांवों में सफाई की जिम्मेदारी किन क्षेत्रों में है
गांवों में सफाई कर्मियों की जिम्मेदारी होती है —
सार्वजनिक नालियों और खड़ंजों की सफाई
धार्मिक स्थल व विद्यालय प्रांगण की सफाई
गांव के प्रमुख चौराहों और गलियों से कूड़ा उठाना
मुख्य मार्गों पर उगे घास-फूस की सफाई
लेकिन इनमें से अधिकांश कार्य केवल कागजों तक सीमित रह गए हैं।

ये भी पढ़ें – लखनऊ रेलवे अस्पताल में लगी आग, धुआं भरने से मची अफरा-तफरी, 22 मरीजों को सुरक्षित निकाला गया

🏢 प्रशासन का बयान — “प्रधान और सचिव जिम्मेदार”
इस मामले में एडीओ पंचायत कोपागंज राजकमल ने कहा कि —

“सफाई कर्मियों से काम कराने की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी की है। इनके हस्ताक्षर के बिना उनका वेतन भुगतान नहीं होता। यदि किसी गांव के प्रधान या ग्रामीणों द्वारा शिकायत की जाती है, तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।”

ये भी पढ़ें – संदिग्ध हालात में राजेश सिंह ‘मंटू’ की मौत से मचा हड़कंप, गांव में पसरा मातम – पुलिस जांच में जुटी

📌 सवाल उठता है — आखिर जिम्मेदार कौन?
जब गांवों की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये हर साल खर्च हो रहे हैं, तो आखिर ये पैसा कहां जा रहा है? क्या सिर्फ कागजों में गांवों की सफाई हो रही है, जबकि धरातल पर गंदगी का साम्राज्य कायम है?
ग्रामीणों की बढ़ती नाराजगी और प्रशासन की चुप्पी अब एक बड़ा सवाल बन चुकी है —
“8 करोड़ रुपये हर साल… फिर भी गांव गंदे क्यों?”

Editor CP pandey

Recent Posts

सूर्य उपासना में डूबे विधायक जय मंगल कन्नौजिया — परिवार संग निभाई लोक आस्था की परम्परा

श्रद्धा, अनुशासन और लोक संस्कृति से सराबोर रहा छठ महापर्व का दृश्य महराजगंज (राष्ट्र की…

3 minutes ago

छठ पूजा जाने के दौरान हादसा: कांग्रेस नेता की पत्नी बाइक से गिरकर हुई गंभीर रूप से घायल

बरहज/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। छठ पूजा मनाने के लिए मायके जा रही कांग्रेस नेता की…

1 hour ago

छठ पूजा 2025: बलिया में आस्था का सागर उमड़ा, घाटों पर गूंजे छठ मइया के जयकारे

सिकंदरपुर/बलिया (राष्ट्र की परम्परा)। बलिया जिले के ग्रामीण अंचलों में लोक आस्था के महापर्व छठ…

1 hour ago

बरहज में दो बच्चों की मां रहस्यमय तरीके से लापता, परिजनों में मचा हड़कंप

देवरिया/उत्तर प्रदेश (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। जिले के बरहज थाना क्षेत्र के मदनपुर कस्बे से…

3 hours ago