नीति काव्य

रहीमदास: नीति, भक्ति और मानवीय करुणा का शाश्वत स्वर

पुनीत मिश्र “जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग। चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग॥”यह दोहा केवल काव्य-सौंदर्य…

4 days ago