सुप्रिया सुले का आरक्षण बयान फिर सुर्खियों में, आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत

महाराष्ट्र/नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)जाति जनगणना और आरक्षण पर जारी बहस पूरे भारत में गर्माई हुई है। इसी कड़ी में एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने आरक्षण को लेकर अपने विचार व्यक्त किए, जो तुरंत राजनीतिक और सार्वजनिक विवाद का विषय बन गए। सुले ने जोर देकर कहा कि आरक्षण केवल जाति या समुदाय के आधार पर नहीं, बल्कि वास्तविक आर्थिक रूप से ज़रूरतमंद लोगों को दिया जाना चाहिए।

इसे भी पढ़ें – https://rkpnewsup.com/in-view-of-sharadiya-navratri-dm-inspected-lehra-devi-temple/

सुले के इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने उनकी आलोचना की, लेकिन विवाद बढ़ता देख उन्होंने अपने बयान को स्पष्ट करने की कोशिश की। एक निजी मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “मैं बहुत स्पष्ट हूं कि हमें सभी को बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा लिखे संविधान का पालन करना चाहिए। हमारा देश संविधान पर चले।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि आरक्षण प्रणाली में सुधार कर इसे वास्तविक ज़रूरतमंदों तक सीमित किया जाए।

सुले ने अपने बयान में यह भी कहा कि उनका परिवार आरक्षण के लाभ का हकदार नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता शिक्षित थे और उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर मैं सिर्फ इसलिए आरक्षण की हक़दार हूँ क्योंकि मैं एक जाति से हूँ, तो मुझे शर्म आनी चाहिए। एक दूरदराज के गाँव में सीमित संसाधनों वाले लेकिन असाधारण प्रतिभा वाले बच्चे को मुंबई के शीर्ष स्कूलों में पढ़ने वाले मेरे बच्चे से कहीं ज़्यादा आरक्षण की ज़रूरत है।”

इसे भी पढ़ें – https://rkpnewsup.com/shahjahanpur-village-plagued-by-mud-and-filth-villagers-question-the-panchayat-and-health-department/

सुले ने इस दौरान आरक्षण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि इसमें जातिगत पहचान की बजाय आर्थिक कमज़ोरी पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए, ताकि योग्य बच्चों और परिवारों को समान अवसर मिल सकें।

यह टिप्पणी महाराष्ट्र में मराठों के आरक्षण आंदोलन के ठीक बाद आई है। कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठों के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनकी अधिकांश मांगें स्वीकार करने और कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने के बाद, उन्होंने अपने आंदोलन को इस महीने की शुरुआत में वापस ले लिया था। अब मराठ समुदाय के पात्र लोगों को ओबीसी आरक्षण के लाभ प्राप्त होंगे।

इसे भी पढ़ें – https://rkpnewsup.com/yogi-governments-big-decision-caste-will-be-removed-from-police-records-in-up-action-taken-on-high-court-order/

सुले ने साथ ही पार्टी के ओबीसी सेल के प्रदेश अध्यक्ष राज राजापुरकर के लिए सरकार से सुरक्षा की मांग भी की है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सुले का यह बयान आरक्षण प्रणाली में जातिगत आधार की बजाय आर्थिक आधार पर चर्चा को आगे बढ़ा सकता है। वहीं, विपक्षी दल इसे संवैधानिक मूल्यों पर सवाल उठाने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं।

आरक्षण और जाति जनगणना का यह विवाद आगामी दिनों में राजनीतिक और सामाजिक बहस को और तेज कर सकता है।

Editor CP pandey

Recent Posts

🕰️ १६ अक्टूबर : इतिहास के आईने में संघर्ष, परिवर्तन और गौरव के रंग

बंगाल विभाजन : स्वदेशी चेतना की ज्वाला (1905)१६ अक्टूबर १९०५ को लॉर्ड कर्ज़न ने बंगाल…

29 minutes ago

16 अक्टूबर 2025 का राशिफल: किसके जीवन में चमकेगा भाग्य, कौन रहेगा सावधान?

जाने पंडित बृज नारायण मिश्र से आज का दिन विशेष:हिंदू पंचांग के अनुसार आज कार्तिक…

51 minutes ago

16 अक्टूबर 2025 गुरुवार का सम्पूर्ण पंचांग: शुभ-अशुभ समय, मुहूर्त एवं राहुकाल

पंडित बृज नारायण मिश्र के द्वारा निर्मित विशेष पंचांग 16 अक्टूबर 2025, गुरुवार को हिन्दू…

1 hour ago

PM मोदी का नारा: “एकजुट NDA-एकजुट बिहार”, बोले- फिर बनेगी सुशासन की सरकार, हर बूथ को बनाएं सबसे मजबूत

बिहार (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार भाजपा कार्यकर्ताओं को…

2 hours ago

उल्लास व आस्था के साथ मनाएं त्यौहार, कर ले सारी तैयारी संबंधित विभाग: जिला अधिकारी

पटाखों के संबंध में शासनादेश का कड़ाई से करे अनुपालन, डीजे पर रहेगी कड़ी नजर,…

2 hours ago

लोक नृत्यों की मनमोहक छटा में निखरा प्रभा सांस्कृतिक सप्ताह का तीसरा दिन

संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। स्थानीय प्रभा देवी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, खलीलाबाद में चल रहे…

2 hours ago