आधुनिक लोकतंत्र में लोकलुभावनवाद: समस्या या आवश्यकता

  • विषयक वाद-विवाद प्रतियोगिता आयोजित

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में हीरक जयंती समारोह के अंतर्गत राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आधुनिक लोकतंत्र में लोकलुभावनवाद: समस्या या आवश्यकता विषयक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में राजनीति विज्ञान के बीए, एमए और पीएचडी के छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। विषय के पक्ष में आदित्य पाठक और अनु यादव, जबकि विपक्ष में ओर से संगिनी यादव, शालू गुप्ता, मृदुल त्रिपाठी और रूपल चंद ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
प्रतियोगिता के दौरान पक्ष के वक्ताओं ने लोकलुभावनवाद को जनहितकारी नीतियों और लोकतांत्रिक सशक्तिकरण का माध्यम बताया, जबकि विपक्ष के वक्ताओं ने इसे लोकतंत्र के दीर्घकालिक विकास के लिए हानिकारक बताते हुए कहा कि यह जनमत को भ्रामक वादों में उलझाने का कार्य करता है।
गरीबों को लक्षित लाभ देना, जिससे वे अपने भविष्य में निवेश कर सकें, कोई गलत बात नहीं है। लेकिन इसे सार्वजनिक सेवाओं जैसे बेहतर स्कूल, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ और अधिक वित्तीय पहुंच के विकल्प के रूप में उपयोग करना एक बड़ी भूल होगी। हमें मुफ्त उपहारों और रेवड़ियों को बेहतर सार्वजनिक सेवाओं की वास्तविक पहुँच का विकल्प नहीं बनने देना चाहिए।
इस कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रो. राजेश कुमार सिंह ने विषय की व्यापकता को समझाते हुए लोकलुभावनवाद के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और छात्रों के प्रयासों की सराहना की।
कार्यक्रम में प्रो. रजनीकांत पांडे, प्रो. गोपाल प्रसाद एवं प्रो. रूसीराम महानन्दा उपस्थित रहे। संचालन का दायित्व डॉ. महेंद्र कुमार सिंह ने निभाया।
कार्यक्रम के अंत में, विभागाध्यक्ष ने सभी प्रतिभागियों की सराहना करते हुए घोषणा की कि राजनीति विज्ञान विभाग हर माह इस तरह की शैक्षणिक प्रतियोगिताओं का आयोजन करेगा, जिससे छात्रों में तार्किक सोच और बौद्धिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
प्रतियोगिता के सफल आयोजन के उपलक्ष्य में मेधावी छात्रों को विभाग की ओर से प्रमाणपत्र और पुरस्कार प्रदान किए जाने की भी घोषणा की गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं एवं प्राध्यापकों की उपस्थिति रही, जिन्होंने छात्रों के विचारों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

rkpNavneet Mishra

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