देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
राष्ट्रीय युवा कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर चंद्रेश बारी और डॉक्टर कृष्ण मुरारी गुप्ता के नेतृत्व में ,कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर अर्जुन मिश्र ने किया और मुख्य वक्ता भी थे ।
विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर वाचस्पति द्विवेदी अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष रहे।
मुख्य वक्ता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर अर्जुन मिश्र ने स्वामी विवेकानंद के द्वारा अपनाए गए आदर्शों की चर्चा किया उन्होंने कहा स्वामी विवेकानंद ने प्रत्येक युवा को और देश के समस्त नागरिकों को चरित्र निर्माण पर जोर दिया। चरित्र वह तथ्य है जो सत्य, ईमानदारी ,सत्यनिष्ठा कर्मशील सहयोग और सहानुभूति की ओर इंगित करता है। किसी भी राष्ट्र का चरित्र निर्माण उसकी व्यवहार और सदस्यता से ही होता है। इसलिए किसी भी राष्ट्र के लोगों का चरित्र निर्माण मानवीय मूल्यों के अंतर्गत होना चाहिए। प्रोफेसर अर्जुन मिश्र ने कहा स्वामी विवेकानंद स्वाधीनता को प्रमुख माना और कहा कि स्वाधीन व्यक्ति ही अपने स्वतंत्र चिंतन और विकास के लिए तत्पर हो सकता है। पराधीनता तो व्यक्ति को नर्क में ढकेलती है। उन्होंने कहा राष्ट्रीय पुनर्निर्माण होना चाहिए यह राष्ट्र निर्माण के लिए विभिन्न प्रकार की जो चुनौतियां हैं जैसे भ्रष्टाचार, नक्सलवाद जातिवाद,आतंकवाद संबंधी समस्याएं बाधा उत्पन्न करती हैं।
अर्जुन मिश्र ने देश के समस्त नागरिकों को स्वस्थ बनाने की अपील किया।व्यक्ति को समुचित पोषण और दवा साथ-साथ विभिन्न प्रकार के के रोगों से स्वयं को अलग रखने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए ।उनका मानना था कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ बुद्धि निवास करती है। प्रोफेसर ने कहा स्वामी विवेकानंद ने व्यक्ति को तार्किक बनाने के लिए अपील किया। तार्किकता का मतलब था कि व्यक्ति को जो सही हो उसी को ही मानना चाहिए । किसी प्रकार के पूर्वाग्रह से ग्रसित होने पर किसी भी समाज की नैतिकता और सदस्यता खतरे में पड़ सकती हैं। तार्किकता ही मानव विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं । प्रोफेसर अर्जुन मिश्र ने कहा स्वामी विवेकानंद ने पूर्व और पाश्चात्य संस्कृति के सम्मिलित स्वरूप द्वारा ही मानव का संपूर्ण विकास मानते थे। पाश्चात्य देशों की भौतिकता और भारत की आध्यात्मिकता दोनों ही मिलकर ही राष्ट्र का विकास कर सकते हैं। मानव चिंतन में मध्यम मार्ग ही होना आवश्यक है।
बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत प्रोफेसर अर्जुन मिश्र ने महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया और कहा कि महिलाएं जब तक सशक्त नहीं होंगी, तब तक इस समाज का विकास संभव नहीं है।
महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य और अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वाचस्पति द्विवेदी ने स्वामी विवेकानंद के जीवन शैली और उनकी विचारों और आदर्शों की विस्तृत चर्चा किया और कहां कि स्वामी विवेकानंद आज भी प्रासंगिक हैं हमें आवश्यकता है उनके उच्च आदर्शों का पालन करना।
राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ चंद्रेश बारी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद के आदर्श आज भी अनुकरणीय है। व्यक्ति के चरित्र निर्माण, स्वतंत्रता समानता और न्याय के लिए उनके आदर्श सदैव याद किए जाएंगे ।राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयंसेवकों को उनके आदर्शों पर चलना चाहिए।
कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर कृष्ण मुरारी गुप्ता नहीं स्वामी विवेकानंद के आदर्शों की चर्चा किया और कहा कि व्यक्ति को आध्यात्मिकता से परिपूर्ण होना चाहिए ।यह आध्यात्मिकता पारलौकिक नहीं बल्कि अलौकिक है ,जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को नैतिकता, ईमानदारी प्रेम, सहानुभूति आदि जैसे मानवीय आदर्शों को सम्मिलित किया जाता है।
राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयंसेविका पलक मिश्रा स्वामी विवेकानंद के उच्च आदर्शों की चर्चा किया और कहा स्वामी विवेकानंद हम लोगों के प्रेरणा स्रोत हैं। हम उनके आदर्शों का सदैव पालन करते रहेंगे। इसके अतिरिक्त रश्मि मद्धेशिया , अंतिमा मद्धेशिया और अंजली सिंह,शालिनी औरआदर्श ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया।
राष्ट्रीय युवा दिवस के समापन अवसर पर पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।इसमें रश्मि मिश्रा को प्रथम, अंजली सिंह को द्वितीय और तृतीय पुरस्कार अंतिमा मद्धेशिया को दिया गया।भाषण और निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान रोज तिवारी, द्वितीय आदर्शी तिवारी ,तृतीय पलक मिश्रा और रश्मि मद्धेशिया ने प्राप्त किया। निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान सोनाली गुप्ता ,द्वितीय स्थान आदर्शि तिवारी और तृतीय स्थान शिखा शर्मा ने प्राप्त किया।
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