नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागालैंड के उग्रवादी समूह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (खपलांग) यानी NSCN (K) पर एक बार फिर से प्रतिबंध बढ़ा दिया है। यह प्रतिबंध अगले पांच सालों तक जारी रहेगा, जिसके चलते यह संगठन किसी भी तरह की देश विरोधी गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकेगा। सरकार ने यह फैसला देश की आंतरिक सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और उत्तर-पूर्व में शांति बनाए रखने के लिए लिया है।
क्यों लगा NSCN (K) पर प्रतिबंध?
गृह मंत्रालय के अनुसार, NSCN (K) एक गैरकानूनी और आतंकवादी संगठन है। इस समूह पर नागालैंड में हिंसा, जबरन वसूली, और हत्या जैसी गंभीर आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। इसके अलावा, इस संगठन ने भारतीय सुरक्षा बलों पर भी कई बार हमला किया है, जिससे देश की संप्रभुता और सुरक्षा को सीधा खतरा है। इन्हीं कारणों से गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत इस संगठन को आतंकवादी समूह घोषित कर रखा है। यह प्रतिबंध इसी अधिनियम के तहत बढ़ाया गया है।
सरकार के इस कदम का क्या है मकसद?
सरकार का यह कदम उत्तर-पूर्व भारत में शांति और स्थिरता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है। सरकार का लक्ष्य है कि NSCN (K) की अवैध गतिविधियों को पूरी तरह से रोका जाए, ताकि इस क्षेत्र में विकास और शांति का माहौल बन सके।
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि NSCN (K) के साथ किसी भी तरह की बातचीत तभी संभव है जब वह हिंसा का रास्ता पूरी तरह से छोड़ दे। इस नए प्रतिबंध से सुरक्षा बल इस संगठन के खिलाफ कड़े कदम उठा सकेंगे, जिससे नागालैंड में सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की स्थिति और बेहतर होगी। यह फैसला इस बात को दर्शाता है कि सरकार आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ अपनी नीति को लेकर पूरी तरह से दृढ़ है।
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