श्रद्धालुओं में मां दुर्गा के प्रति बढी आस्था: शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित

बघौचघाट/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। विकास खंड क्षेत्र पथरदेवा में नवरात्रि के पहले दिन से श्रद्धालुओं में विशेष धूम मची हुई है। शारदीय नवरात्र का पर्व बहुत ही पावन माना जाता है। यह मां दुर्गा को समर्पित है।सोमवार को नवरात्र का पहला दिन है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि विधान से होती है।मान्यता के अनुसार नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की कथा का पाठ और उनकी विधिवत पूजा किया गया। पथरदेवा क्षेत्र के बसडिला, सखिनी,कोटवा मिश्र,मेंदीपट्टी,मलसी खास,नोनिया पट्टी,मोतीपुर,पकहां,रामनगर, विशुनपुरा बाजार,पथरदेवा,धर्मचौरा आदि गांवों में शारदीय नवरात्र के पहले दिन विधि विधान पूर्वक कलश स्थापित कर एवं दुर्गा मंदिरों में श्रद्धालुओं ने पूजा पाठ किया। मेंदीपट्टी दुर्गा मंदिर के पुजारी आचार्य राजू मिश्रा ने बताया कि एक बार राजा दक्ष प्रजापति की एक बेटी जिनका नाम सती था।जो अपनी मर्जी से भगवान शिव से शादी की, लेकिन राजा दक्ष इस रिश्ते से खुश नहीं थे।जो शिव जी और देवी सती से हमेशा नाराज रहते थे। एक दिन राजा दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ रखा और सभी देवी-देवताओं को बुलाया, लेकिन उन्होंने जान-बूझकर अपनी बेटी सती और दामाद शिव जी को निमंत्रण नहीं भेजा। जब देवी सती को इस यज्ञ के बारे में पता चला, तो वह बहुत बेचैन हो गईं और वहां जाने का विचार करने लगीं। हालांकि शिव जी ने उन्हें समझाया कि बिना बुलाए कहीं जाना ठीक नहीं होता, लेकिन वे फिर भी नहीं मानीं। अपनी जिद पर अड़ी सती को देखकर शंकर भगवान को उन्हें भेजना ही पड़ा। जब सती अपने पिता के घर पहुंचीं, तो वहां किसी ने भी उनसे अच्छे से बात नहीं की और उनके पिता ने भोलेनाथ का अपमान किया। यह सब देखकर देवी सती बहुत दुखी हुईं।इसके बाद फिर से देवी सती ने हिमालय राज की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया। हिमालय को ‘शैल’ भी कहते हैं।इसलिए हिमालय की पुत्री होने के कारण देवी पार्वती को शैलपुत्री कहा जाने लगा। मेंदीपट्टी निवासी मूर्ति आयोजक राजू राय, मिथलेश शर्मा ने बताया कि दुर्गा पूजा को लेकर भव्य पंडाल बनाया जा रहा है।इसके लिए दुर्गा पूजा समिति के कार्यकर्ता पंडालों को भव्य रूप देने में लगे हैं।

Karan Pandey

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