लीमा/पेरू (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। पेरू में राष्ट्रपति जोस जेरी के खिलाफ देशभर में फैले जेन-जेड आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है। इस दौरान हुई झड़पों में 1 प्रदर्शनकारी की मौत हो गई, जबकि करीब 100 लोग घायल हुए हैं। राष्ट्रपति जेरी ने इस्तीफे की मांग को सख्ती से ठुकरा दिया है और कहा है कि “देश की स्थिरता बनाए रखना” उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है।
अधिकारियों के मुताबिक, घायलों में 80 पुलिसकर्मी और 10 पत्रकार शामिल हैं। जांच एजेंसियां उस गोलीबारी की पड़ताल कर रही हैं जिसमें 32 वर्षीय हिप-हॉप गायक एडुआर्डो रुइज की मौत हो गई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में उन्हें लीमा की सड़कों पर गोली लगने के बाद गिरते हुए देखा गया।
आंदोलन की शुरुआत कैसे हुई
करीब एक महीने पहले शुरू हुए इस विरोध की शुरुआत बेहतर पेंशन और युवाओं के लिए नौकरी के अवसरों की मांग से हुई थी। धीरे-धीरे यह आंदोलन भ्रष्टाचार, अपराध और सरकार की नाकामी के खिलाफ एक बड़े जनआंदोलन में बदल गया।
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राष्ट्रपति जोस जेरी, जिन्होंने 10 अक्टूबर को पद संभाला था, पिछले 10 वर्षों में पेरू के सातवें राष्ट्रपति हैं। उनके शपथ लेने के तुरंत बाद ही विरोध प्रदर्शन तेज हो गए, और युवाओं ने राष्ट्रपति तथा सांसदों से इस्तीफे की मांग शुरू कर दी।
हिंसा और पत्रकारों पर हमले
राष्ट्रीय लोकपाल कार्यालय ने बताया कि झड़पों में 24 प्रदर्शनकारी और 80 पुलिसकर्मी घायल हुए। पत्रकारों पर भी हमले हुए — छह को पैलेट्स से चोट लगी, जबकि चार अन्य पर पुलिस ने हमला किया।
विवादों में राष्ट्रपति जेरी
जेरी, जिन्होंने हाल ही में अपदस्थ राष्ट्रपति डिना बोलुआर्ते की जगह ली थी, पहले संसद के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके प्रधानमंत्री एर्नेस्टो अल्वारेज ने पहले जेन-जेड आंदोलन को “अराजकता फैलाने वाला गिरोह” बताया था।
जेरी पहले भी विवादों में रहे हैं — एक महिला ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया था, हालांकि यह मामला अगस्त में खारिज कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने इस मुद्दे को भी उठाते हुए “द रेपिस्ट इज जेरी” जैसे नारे लगाए।
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जनता का गुस्सा क्यों फूटा
विशेषज्ञों का कहना है कि पेरू में जनता का आक्रोश वर्षों से जमा हो रहा है। लगातार बदलती सरकारें, भ्रष्टाचार और बढ़ते अपराधों ने लोगों का विश्वास खत्म कर दिया है। समाजशास्त्री ओमार कोरोनेल का कहना है कि युवाओं में असुरक्षा और अन्याय के खिलाफ गुस्सा दशकों की विफलताओं का परिणाम है।
प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर तख्तियां उठाईं — “प्रदर्शन अधिकार है, मारना अपराध” और “हत्यारी से बलात्कारी तक, बस चेहरा बदला है।”
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