रेलवे स्टेशन पर विद्युतीकरण बना बंदरों की मौत का कारण, समाजसेवी ने उठाई आवाज

(भाटपार रानी से बृजेश मिश्र की रिपोर्ट)

भाटपार रानी/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)जिले के भाटपार रानी तहसील क्षेत्र में स्थित बनकटा रेलवे स्टेशन इन दिनों एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का केंद्र बन गया है। यहां रेलवे विद्युतीकरण के बाद से अब तक सैकड़ों बंदरों की मौत हो चुकी है। ये मासूम वन्यजीव हाईटेंशन ओवरहेड विद्युत तारों की चपेट में आकर अपनी जान गंवा रहे हैं।

स्थानीय समाजसेवी बादल सिंह ने इस दर्दनाक स्थिति पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि विद्युतीकरण के बाद बंदरों की जान जाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन संबंधित विभागों द्वारा अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।

“रेलवे स्टेशन परिसर व आसपास के क्षेत्रों में बंदरों की गतिविधियां सामान्य हैं। वे पेड़ों और रेलवे संरचनाओं पर विचरण करते रहते हैं। लेकिन हाई वोल्टेज तारों के कारण वे असहाय हो गए हैं और बड़ी संख्या में अपनी जान गंवा चुके हैं,” — बादल सिंह, समाजसेवी

वन्यजीव संरक्षण के लिए उठी मांग बादल सिंह ने सरकार और रेलवे प्रशासन से तत्काल प्रभाव से सुरक्षा उपाय किए जाने की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि:

विद्युत तारों के नीचे इंसुलेटेड कवर लगाए जाएं
स्टेशन परिसर में बंदरों की गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा बैरियर या नेटिंग की व्यवस्था हो
वन विभाग और रेलवे मिलकर एक संयुक्त मॉनिटरिंग टीम बनाएं ताकि समय रहते ऐसे हादसों को रोका जा सके

बंदर प्रेमियों और जागरूक नागरिकों से अपील
बादल सिंह ने क्षेत्र के वन्यजीव प्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी अपील की है कि वे इस विषय को गंभीरता से लें और जन-जागरूकता अभियान चलाएं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की कैजुअल्टी की सूचना पर लोग उन्हें अवगत कराते हैं, और वे स्वयं मौके पर पहुंचकर मदद का प्रयास करते हैं।

प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार इस विषय पर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे लोगों में नाराजगी भी है।

यह मुद्दा सिर्फ एक स्टेशन तक सीमित नहीं, बल्कि देशभर में रेलवे विद्युतीकरण के विस्तार के साथ कई ऐसे क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं जहां मानव और वन्यजीवों का सहअस्तित्व है। समय रहते इस पर ध्यान देना आवश्यक है।

Editor CP pandey

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