भारत का इतिहास केवल घटनाओं से नहीं, बल्कि उन महान व्यक्तित्वों से बनता है जिन्होंने अपने कर्म, संघर्ष और प्रतिभा से देश की आत्मा को दिशा दी। 24 दिसंबर ऐसी ही एक ऐतिहासिक तिथि है, जिसने भारत को खेल, कला, विज्ञान, समाज-सेवा, साहित्य और स्वतंत्रता आंदोलन के अनमोल रत्न दिए। आइए इन विभूतियों के जन्म, जीवन, कार्यक्षेत्र और राष्ट्रहित में योगदान पर विस्तार से दृष्टि डालते हैं।
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नीरज चोपड़ा (जन्म: 24 दिसंबर 1997)
जन्म स्थान: खंडरा, पानीपत, हरियाणा, भारत
नीरज चोपड़ा भारत के आधुनिक खेल इतिहास का स्वर्णिम अध्याय हैं। किसान परिवार में जन्मे नीरज ने सीमित संसाधनों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाला फेंक में भारत को गौरव दिलाया। टोक्यो ओलंपिक 2020 में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने एथलेटिक्स में भारत का दशकों पुराना इंतजार खत्म किया। उनका अनुशासन, मेहनत और आत्मविश्वास युवाओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने यह सिद्ध किया कि गांव की मिट्टी से भी विश्व मंच तक का सफर तय किया जा सकता है।
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राजू श्रीवास्तव (जन्म: 24 दिसंबर 1963)
जन्म स्थान: कानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
राजू श्रीवास्तव भारतीय हास्य जगत के ऐसे कलाकार थे जिन्होंने हंसी को सामाजिक व्यंग्य का हथियार बनाया। साधारण परिवार में जन्मे राजू ने मंच से लेकर टेलीविजन तक आम आदमी की आवाज को कॉमेडी के माध्यम से प्रस्तुत किया। “गजोधर भैया” जैसे किरदार से उन्होंने हर वर्ग को जोड़ा। उनके हास्य में समाज की सच्चाइयाँ छिपी होती थीं। उनका योगदान केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना भी था।
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प्रीति सप्रू (जन्म: 24 दिसंबर 1961)
जन्म स्थान: श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर, भारत
प्रीति सप्रू हिन्दी और क्षेत्रीय सिनेमा की सशक्त अभिनेत्री हैं। कश्मीर की धरती पर जन्मी प्रीति ने अभिनय के साथ-साथ सामाजिक विषयों पर आधारित फिल्मों में काम किया। उन्होंने महिला पात्रों को मजबूती और गरिमा के साथ प्रस्तुत किया। अभिनय के अलावा उन्होंने फिल्म निर्माण और निर्देशन में भी योगदान दिया। उनका कार्य भारतीय सिनेमा में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है।
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अनिल कपूर (जन्म: 24 दिसंबर 1959)
जन्म स्थान: मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
अनिल कपूर भारतीय सिनेमा के सदाबहार अभिनेता हैं। दशकों से सक्रिय रहकर उन्होंने अभिनय की ऊर्जा और अनुशासन का उदाहरण प्रस्तुत किया। “मिस्टर इंडिया”, “तेजाब” और “नायक” जैसी फिल्मों ने उन्हें जननायक बनाया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारतीय सिनेमा की पहचान बढ़ाई। उनका योगदान अभिनय के साथ-साथ युवाओं को फिटनेस और निरंतरता का संदेश देता है।
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पी. एस. वीरराघवन (जन्म: 24 दिसंबर 1948)
जन्म स्थान: तमिलनाडु, भारत
पी. एस. वीरराघवन भारत के प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिक और रॉकेट प्रौद्योगिकीविद् रहे हैं। उन्होंने इसरो के कई महत्वपूर्ण मिशनों में योगदान दिया। स्वदेशी तकनीक के विकास में उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही। उनके प्रयासों से भारत अंतरिक्ष विज्ञान में आत्मनिर्भर बना। उनका जीवन विज्ञान को राष्ट्रसेवा से जोड़ने का उदाहरण है।
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उषा प्रियंवदा (जन्म: 24 दिसंबर 1930)
जन्म स्थान: कानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत
उषा प्रियंवदा हिन्दी साहित्य और पत्रकारिता की सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके लेखन में स्त्री मन की गहराई, सामाजिक यथार्थ और संवेदनशीलता दिखाई देती है। उन्होंने कथा साहित्य को नई दृष्टि दी। उनका योगदान भारतीय साहित्य में स्त्री विमर्श को मजबूती प्रदान करता है।
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मुहम्मद रफ़ी (जन्म: 24 दिसंबर 1924)
जन्म स्थान: कोटला सुल्तान सिंह, पंजाब (अब पाकिस्तान)
मुहम्मद रफ़ी भारतीय संगीत के अमर स्वर हैं। साधारण परिवार से निकलकर उन्होंने अपनी आवाज से करोड़ों दिलों पर राज किया। भक्ति, प्रेम, दर्द और देशभक्ति—हर भाव को उन्होंने जीवंत किया। उनका योगदान भारतीय संगीत की आत्मा को समृद्ध करने वाला है।
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नारायण भाई देसाई (जन्म: 24 दिसंबर 1924)
जन्म स्थान: गुजरात, भारत
नारायण भाई देसाई स्वतंत्रता सेनानी महादेव देसाई के पुत्र और गांधीवादी विचारक थे। उन्होंने अहिंसा, सत्य और सामाजिक न्याय के विचारों को आगे बढ़ाया। उनका जीवन स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत को जीवित रखने का प्रतीक है।
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पी. शीलू एओ (जन्म: 24 दिसंबर 1916)
जन्म स्थान: नागालैंड, भारत
पी. शीलू एओ नागा राजनीति के प्रमुख नेता थे। उन्होंने क्षेत्रीय पहचान और राजनीतिक चेतना को स्वर दिया। उनका योगदान पूर्वोत्तर भारत की राजनीतिक संरचना को समझने में महत्वपूर्ण है।
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बाबा आम्टे (जन्म: 24 दिसंबर 1914)
जन्म स्थान: वर्धा, महाराष्ट्र, भारत
बाबा आम्टे मानवता के प्रतीक थे। उन्होंने कुष्ठ रोगियों के लिए आनंदवन की स्थापना कर सेवा को जीवन का उद्देश्य बनाया। उनका जीवन त्याग, करुणा और सामाजिक न्याय की मिसाल है।
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बनारसीदास चतुर्वेदी (जन्म: 24 दिसंबर 1892)
जन्म स्थान: उत्तर प्रदेश, भारत
बनारसीदास चतुर्वेदी हिन्दी पत्रकारिता और साहित्य के मजबूत स्तंभ थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को लेखनी से शक्ति दी। उनका योगदान विचारों की आज़ादी को मजबूत करता है।
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भोगराजू पट्टाभि सीतारामैया (जन्म: 24 दिसंबर 1880)
जन्म स्थान: आंध्र प्रदेश, भारत
पट्टाभि सीतारामैया स्वतंत्रता सेनानी, गांधीवादी और पत्रकार थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी। उनका जीवन स्वतंत्रता, संगठन और लोकतंत्र का प्रतीक है।
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