अखिलेश यादव का मस्जिद दौरा: तुष्टिकरण या संवाद की राजनीति?

त्वरित टिप्पणी

✍️ नवनीत मिश्र

समाजवादी पार्टी के सुप्रीमों अखिलेश यादव का बुधवार को संसद भवन के पास वाली मस्जिद का दौरा कर देश की राजनीति में बहस का विषय बन गया है।दिल्ली की एक प्रमुख मस्जिद में जाकर उन्होंने मुस्लिम धर्मगुरुओं और नेताओं से संवाद किया। इस कदम को लेकर सियासी प्रतिक्रिया तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी इसे सामाजिक सौहार्द्र और भाईचारे का प्रतीक बता रही है, वहीं भाजपा ने इसे वोट बैंक की राजनीति बताते हुए मुस्लिम तुष्टिकरण की पुनरावृत्ति करार दिया है। भाजपा प्रवक्ताओं का आरोप है कि समाजवादी पार्टी फिर उसी पुरानी राह पर चल रही है, जहाँ बहुसंख्यकों की उपेक्षा कर एक वर्ग विशेष को प्राथमिकता दी जाती है। मुस्लिम मतदाता अब केवल धार्मिक प्रतीकों से प्रभावित नहीं होता। उसकी प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं। वह रोजगार, शिक्षा, सुरक्षा और न्याय के मुद्दों पर जवाब चाहता है। बीते वर्षों में समाजवादी पार्टी की निष्क्रियता और कई संवेदनशील मसलों पर चुप्पी ने मुस्लिम समाज को सोचने पर मजबूर किया है। ऐसे में सिर्फ मस्जिद जाना काफी नहीं होगा। भाजपा ने इस घटनाक्रम को अपने पक्ष में मोड़ने का प्रयास शुरू कर दिया है। पार्टी इसे सपा की मुस्लिमपरस्त राजनीति कहकर हिंदू मतदाताओं में एकजुटता का आह्वान कर रही है। यह प्रयास प्रदेश में एक बार फिर धार्मिक ध्रुवीकरण को जन्म दे सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह दौरा आगामी ग्राम पंचायत, स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनावों की रणनीति का हिस्सा है। अखिलेश यादव मुस्लिम समाज को पुनः साधना चाहते हैं, जो अब कई विकल्पों की ओर देख रहा है। एआईनएमआईएम, कांग्रेस और अन्य दल इस वर्ग को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में हैं। यह देखना अहम होगा कि अखिलेश यादव इस दौरे को सिर्फ प्रतीकात्मक बनाकर छोड़ते हैं या इसके आगे मुस्लिम समाज के लिए नीतिगत और ज़मीनी कार्यवाही की दिशा में ठोस कदम भी उठाते हैं। राजनीति में अब दिखावे से ज़्यादा ज़रूरी है भरोसे की पुनर्स्थापना और यह भरोसा केवल इबादतगाहों की सीढ़ियाँ चढ़ने से नहीं, वास्तविक प्रतिनिधित्व और जवाबदेही से कायम होता है।

rkpNavneet Mishra

Recent Posts

पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति भुगतान को लेकर आज राज्यपाल से मिलेगा आजसू छात्र संघ का प्रतिनिधिमण्डल

रांची (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) झारखंड में लंबित पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के भुगतान की मांग तेज़…

8 minutes ago

राजनीतिक बयानबाज़ी के शोर में दबती आम जनता की ज़रूरतें — ज़मीन पर उतरे बिना अधूरा रह गया विकास

भारत में आज विकास सबसे ज़्यादा बोले जाने वाले शब्दों में से एक है, लेकिन…

1 hour ago

“तेज़ रफ्तार का कहर, धीमी होती ज़िंदगी – भारत में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं का खामोश सच”

देश की सड़कें पहले से कहीं अधिक तेज़ हो चुकी हैं, लेकिन इसी रफ्तार ने…

1 hour ago

विनोद दुआ की विरासत: सवाल पूछती कलम का इतिहास

विनोद दुआ: स्वतंत्र पत्रकारिता की बुलंद आवाज, जिसने सत्ता से सवाल पूछने का साहस सिखाया…

2 hours ago

अभिनय, संस्कार और सौम्यता का प्रतीक: शशि कपूर की जीवन गाथा

एक युग के अविस्मरणीय अभिनेता: शशि कपूर की याद में विशेष लेख हिंदी सिनेमा के…

2 hours ago

फाइबर ऑप्टिक्स तकनीक के जन्मदाता जिनकी खोज ने बदली दुनिया

नरिंदर सिंह कपानी को आज विश्व “फाइबर ऑप्टिक्स के जनक” (Father of Fiber Optics) के…

2 hours ago